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"लौटना कभी आसान नहीं होता"

जीवन चक्र -

"यदि जीवन के 40 वर्ष पार कर लिए है तो अब लौटने की तैयारी प्रारंभ करें....इससे पहले की देर हो जाये... इससे पहले की सब किया धरा निरर्थक हो जाये....."✍️

लौटना क्यों है...❓

लौटना कहाँ है...❓

लौटना कैसे है...❓

इसे जानने, समझने एवं लौटने का निर्णय लेने के लिए आइये टॉलस्टाय की मशहूर कहानी आज आपके साथसाझा करता हूँ :

" लौटना कभी आसान नहीं होता "

एक आदमी राजा के पास गया कि वो बहुत गरीब था, उसके पास कुछ भी नहीं, उसे मदद चाहिए...

राजा दयालु था..उसने पूछा कि "क्या मदद चाहिए..?"

आदमी ने कहा.."थोड़ा-सा भूखंड.."

राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना..ज़मीन पर तुम दौड़ना जितनी दूर तक दौड़ पाओगेवो पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आनाहोगा,अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा...!"  

आदमी खुश हो गया...

सुबह हुई.. 

सूर्योदय के साथ आदमी दौड़ने लगा...

आदमी दौड़ता रहा.. दौड़ता रहा.. सूरज सिर पर चढ़ आया था..पर आदमी का दौड़ना नहीं रुका था..वो हांफरहा था,पर रुका नहीं था...थोड़ा और..एक बार की मेहनत है..फिर पूरी ज़िंदगी आराम...

शाम होने लगी थी...आदमी को याद आया, लौटना भी है, नहीं तो फिर कुछ नहीं मिलेगा...

उसने देखा, वो काफी दूर चला आया था.. अब उसे लौटना था..पर कैसे लौटता..? सूरज पश्चिम की ओर मुड़चुका था.. आदमी ने पूरा दम लगाया..

वो लौट सकता था... पर समय तेजी से बीत रहा था..थोड़ी ताकत और लगानी होगी...वो पूरी गति से दौड़नेलगा...पर अब दौड़ा नहीं जा रहा था..वो थक कर गिर गया... उसके प्राण वहीं निकल गए...! 

राजा यह सब देख रहा था...

अपने सहयोगियों के साथ वो वहां गया, जहां आदमी ज़मीन पर गिरा था...

राजा ने उसे गौर से देखा..

फिर सिर्फ़ इतना कहा...

"इसे सिर्फ दो गज़ ज़मीं की दरकार थी...नाहक ही ये इतना दौड़ रहा था...! "

आदमी को लौटना था... पर लौट नहीं पाया...

वो लौट गया वहां, जहां से कोई लौट कर नहीं आता...

अब ज़रा उस आदमी की जगह अपने आपको रख कर कल्पना करें, कही हम भी तो वही भारी भूल नही कर रहेजो उसने की

हमें अपनी चाहतों की सीमा का पता नहीं होता...

हमारी ज़रूरतें तो सीमित होती हैं, पर चाहतें अनंत..

अपनी चाहतों के मोह में हम लौटने की तैयारी ही नहीं करते...जब करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है...

फिर हमारे पास कुछ भी नहीं बचता...

अतः आज अपनी डायरी पैन उठाये कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर अनिवार्य रूप से लिखें ओर उनके जवाब भी लिखें

मैं जीवन की दौड़ में सम्लित हुवा था, आज तक कहाँ पहुँचा...?

आखिर मुझे जाना कहाँ है ओर कब तक पहुँचना है...?

इसी तरह दौड़ता रहा तो कहाँ ओर कब तक पहुँच पाऊंगा? 

इस पोस्ट को भले लाइक ना करे, कॉमेंट ना करें आगे साझा ना करें पर मेरा विनम्र निवेदन है इन प्रश्नों केजवाब लिखित में अवश्य नॉट कर ले यही मेरी पोस्ट की सार्थकता होगी, की हम सबके जीवन को दिशा मिलजाये...हम लौटने की तैयारी कर पाए।

हम सभी दौड़ रहे हैं... बिना ये समझे कि सूरज समय पर लौट जाता है...

अभिमन्यु भी लौटना नहीं जानता था...हम सब अभिमन्यु ही हैं..हम भी लौटना नहीं जानते...

सच ये है कि "जो लौटना जानते हैं, वही जीना भी जानते हैं...पर लौटना इतना भी आसान नहीं होता..."

काश टॉलस्टाय की कहानी का वो पात्र समय से लौट पाता...!

"मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि  हम सब लौट पाए..! लौटने का विवेक, सामर्थ्य एवं निर्णय हम सबकोमिले.... सबका मंगल होय...."✍️

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