सिंघाड़े की खेती बनी कमाई का साधन कम लागत मे मुनाफा अधिक
सिंघाड़े की खेती बनी कमाई का साधन कम लागत मे मुनाफा अधिक
बाजार मे 80 से 100 रूपए किलो तक बिक रहा सिंघाड़ा
लोकमत चक्र.कॉम (www.lokmatchakra.com)
टिमरनी - किसानों द्वारा अपनी आय को बढाने के हर संभव प्रयास किए जाते है ताकि वह परम्परागत फसल पर ही निर्भर नही रह सके।इस वर्ष सोयाबीन की फसल खराब होने से लागत भी नही निकल पाई। जिसकी भरपाई के लिए नौसर गांव के कुछ किसानों द्वारा सिंघाड़े की खेती करना शुरू की है ताकि खरीफ फसल मे हुए नुकसान की भरपाई हो सके। बाजार मे सिंघाड़े के भाव भी 80 से 100 रूपए किलो के विक्रय हो रहे है। नौसर गांव के किसान तुलसीराम कहार 25 डिसमिल तालाब किराए से लेकर उसमे सिंघाड़े की खेती कर रहे है। उन्होने बताया कि रिजगाव से 300 सिंघाड़े की बेले 15 हजार ऱूपए मे लेकर आए है जिन्हें लगाने मे 16 हजार रूपए की लागत आई है वर्तमान मे इसकी फसल लगना शुरू हो गई है।
एक दिन मे निकल रहे 10 किलो सिंघाड़े -
तालाब मे लगी हुई 300 बेलो से रोजाना डोंगे व नाव की मदद से किसान द्वारा सिंघाड़े तोड़े जा रहे हैं। एक दिन मे करीब 10 किलो कच्चे सिंघाड़े निकल रहे है जिन्हे कच्चे एवं उबालकर किसानो द्वारा बेचे जा रहा है। इसकी खेती किसान के लिए कम लागत मे मुनाफे की खेती साबित हो रही है. किसान तुलसीराम कहार ने बताया कि धीरे धीरे सिंघाड़े की मात्रा अधिक निकलना शुरू हो जाएगी।
तीन से चार माह तक चलती है फसल -
एक बार सिंघाड़े की बेले लगाने के बाद सिंघाड़े की फसल तीन से चार माह तक चलती रहती है। इसके बाद इसकी बेले खराब हो जाती है. बेले पानी के ऊपर रहती है सिंघाड़ा पानी मे बेल के नीचे लगे रहते है. जिन्हें किसान द्वारा एक कतार मे डोंगे के माध्यम से पानी में चलते हुए सिंघाड़े तोडकर लाते है।किसान ने बताया कि सिंघाड़े टिमरनी हरदा सहित आसपास के क्षेत्रों मे बेचे जा रहे है.फिलहाल 80 रूपए किलो तक बिक रहे है। प्रशासन से मदद की आस लिए ये किसान अपनी आजीविका चला रहे हैं।
- टिमरनी से संवाददाता सन्दीप अग्रवाल की रिपोर्ट✍️
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