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शासन की ओर से नही मिला गेंहू का बीज घर मे रखे बीज को वोने से नही हुआ अंकुरण, कई किसानो को लगी चपत

शासन की ओर से नही मिला गेंहू का बीज ...

घर मे रखे बीज को वोने से नही हुआ अंकुरण, कई किसानो को लगी चपत

लोकमत चक्र.कॉम (www.lokmatchakra.com)

मसनगांव-  खेतों में बोए जाने वाले बीज की कमी जिले में हमेशा से बनी रही है। इस वर्ष भी किसानों को गेहूं का ब्रिडर तथा सर्टिफाइड बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिला जिससे कई किसानों ने अपने घरो में रखे  हुए गेहूं के बीज की बुआई कर दी, जिसका अंकुरण ही नहीं हुआ। बीज खराब होने के कारण उन्हे हजारो रूपये की चपत लग गई।

मसनगांव के ओम भायरे, रमेश पाटिल के साथ ही गांगला के किसान आमिर पटेल, भगवान दास आदि कई किसानों ने अपने घर में रखे हुए बीज की बुवाई खेतों में कर दी तथा कुछ किसानों ने दूसरे किसानों से बीज लेकर अपने खेतों में वो दिया, लेकिन अंकुरण बीज खराब होने से वह बीज नहीं उगा। इसके पश्चात किसानों को अपने खेतो मे दोबारा बुआई करना पड़ी, जिससे उन्हें खाद बीज के अलावा ट्रैक्टर से बोने की लागत अतिरिक्त रूप से लग गई।

शासन द्वारा प्रतिवर्ष किसानों की आय दोगुनी करने के चक्कर में कई नीतियां बनाई जाती है परंतु जब बोनी का समय आता है तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में बीज ही नहीं मिलता । जिससे जैसा बीज उनके पास रहता है उसकी ही बुआई करना होती है। पूर्व में सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से  बीज की आपूर्ति की जाती थी, परंतु विगत तीन-चार वर्षों से  शासन के द्वारा समितियों को बीज देना बंद किए जाने के बाद से ही किसानों की हालत खराब बनी हुई है। खरीफ की मुख्य फसल के रूप में सोयाबीन के बीज के लिए भी किसानों को यहां-वहां भटकना पड़ता है, वहीं रवि फसलों के लिए उच्च क्वालिटी के बीज नहीं मिलते, जिससे किसानों  को  फसलों का सही उत्पादन नहीं मिलता वही खराब भी निकलने पर उन्हें दोहरी मार सहनी पड़ती है । 

शासन द्वारा  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खेतों में बीज डालने से लेकर कटाई के पश्चात उपज खलियान तक आने का बीमा किया जाता है परंतु इस योजना का सही क्रियान्वयन नहीं होने से किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पाता । खेतों में बोई गई फसल नहीं उगने के पश्चात  इसकी मार किसानों को ही सहनी पड़ती है जहां  पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को फसलों की बुवाई करने मे ही पसीना छुट जाता है । फसल कटाई तक ही इतनी अधिक लागत हो जाती है कि उसे उत्पादन के बाद बचत के नाम पर कुछ नहीं मिल पाता।

- मसनगांव से अनिल दीपावरे की  रिपोर्ट ✍️

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