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निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य वसूली पर रोक - हाईकोर्ट प्राइवेट शिक्षक, स्टाफ का वेतन देना होगा

निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य वसूली पर रोक - हाईकोर्ट 

प्राइवेट शिक्षक, स्टाफ का वेतन देना होगा

लोकमत चक्र.कॉम (www.lokmatchakra.com)

भोपाल - कोरोना काल मे अशासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और अभिभावकों को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने निजी स्कूलों (Private school) में फीस को लेकर आज बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा है कि कोरोना खत्म होने तक निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस (tuition fees) वसूल सकेंगे। इसके अलावा अन्य किसी तरह की चार्जेस नहीं वसूल सकते हैं।

हाईकोर्ट ने आदेश में अभिभावकों को राहत देते हुए कोरोना खत्म होने तक निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस लेने को कहा है। आदेश के मुताबिक निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा किसी अन्य मद में फीस नहीं वसूलेंगे। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्कूलों के शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ को भी राहत दी है।


बेंच के फैसले में कहा गया है कि शिक्षकों व स्टाफ का वेतन 20 फीसदी से ज्यादा नहीं काटा जा सकेगा। इसके अलावा कोरोना समाप्त होने के बाद काटी की गई सैलरी भी वापस करनी होगी। कोर्ट ने 10 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने उठाया था मुद्दा -

कोरोना संक्रमण के बीच निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही मनमानी फीस को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपाण्डे, रजत भार्गव की ओर से दायर जनहित याचिका में यह मुद्दा उठाया गया। बताया गया कि इंदौर हाईकोर्ट और जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली को लेकर दो अलग-अलग आदेश दिए हैं। इसके चलते विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई के खिलाफ तर्क -

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिए कि प्रदेश भर में निजी स्कूल ऑनलाइन कोचिंग के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं। इसके बावजूद मोोटी ट्यूशन फीस अभिभावकों से वसूल रहे हैं जबकि ऑनलाइन क्लास से छात्र-छात्राओं की आंखों और दिमाग पर अतिरिक्त जोर पड़ने से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। अन्य याचिका में भौतिक क्लास की अनुमति पर ऑनलाइन क्लास संचालन को अवैध और गलत ठहराया गया था।

6 अक्टूबर को किया था कोर्ट ने फैसला सुरक्षित -

इसमें कहा गया कि जब तक स्कूल पूर्ववत भौतिक रूप से कक्षाएं शुरू नहीं करते, तब तक उन्हें केवल ट्यूशन फीस ही वसूलनी चाहिए। निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं वसूली। 6 अक्टूबर को कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस व प्रस्ताव सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।

दरअसल निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। जबलपुर हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2020 के आदेश को यथावत रखा है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना काल खत्म होने तक निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल सकेंगे।वही हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्कूल द्वारा किसी भी तरह का एरियर्स बाद में नहीं वसूला जा सकेगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी स्थिति में बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रखा जा सकता है। अगर कोई भी निजी स्कूल इस तरह की हरकतें करते पकड़ा जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना काल के बाद जब भी स्कूल खुलेंगे। उसके बाद सेशन में फीस बढ़ाने का फैसला राज्य शासन द्वारा लिया जाएगा। इससे पहले स्कूल संचालक ट्यूशन फीस बढ़ा भी नहीं सकेंगे यह आदेश है कोर्ट ने दिए हैं।

बता दें कि अभिभावकों द्वारा लगातार निजी स्कूल संचालकों पर आरोप लगाया जा रहा था कि ट्यूशन फीस के साथ-साथ अन्य तरह के मद को जोड़कर स्कूल संचालक ट्यूशन फीस की मांग कर रहे हैं। जिसके बाद कई तरह की याचिका हाईकोर्ट में पेश की गई थी। इसी पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोरोना संकटकाल के वक्त में निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकेंगे। उसी आदेश को पूर्ववत रखते हुए हाईकोर्ट ने 13 पन्नों का फैसला तैयार किया है।

गौरतलब है कि निजी स्कूल संचालक लॉकडाउन व कोरोना संकट के दौरान स्कूल बंद रहने के बावजूद पूरी फीस लेना चाहते थे। इसके पीछे लॉकडाउन में भी बच्चों की आॅनलाइन क्लास लगाने का हवाला भी दिया गया था।

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