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खातेगांव में हुआ मुनिसंघ का पिच्छिका परिवर्तन

मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए : मुनिश्री विनम्रसागर जी


खातेगांव में हुआ मुनिसंघ का पिच्छिका परिवर्तन ....

लोकमत चक्र.कॉम (www.lokmatchakra.com)

खातेगांव - रविवार को नगर में चातुर्मासरत आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के सुशिष्य मुनिश्री विनम्रसागर जी महाराज ससंघ (9 मुनिराजों) का पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें अजनास, संदलपुर, नेमावर, सतवास, इंदौर, खजुराहो, जबलपुर, सागर, विदिशा, भोपाल, हरदा सहित अनेक स्थानों से आए जैन समाजजन शामिल हुए। 

मुनिसुव्रतनाथ जिनालय से शुरू होकर कार्यक्रम स्थल विद्यासागर स्कूल परिसर तक भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। जिसमें बालिकाएं, महिलाएं, युवासंघ और पुरुष वर्ग धर्मध्वजा के साथ शामिल हुआ। विदिशा और भोपाल से आए दिव्य घोष ने भी प्रस्तुति दी। 


जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी व पुनीत जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत पाठशाला की बहिनों के मंगलाचरण से हुई। विभिन्न स्थानों से आए आगंतुक अतिथियों ने कुंडलपुर के बड़े बाबा और आचार्यश्री के चित्र का अनावरण किया। दीप प्रज्वलन मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के परिजनों ने किया। अतिथियों का सम्मान जैन समाज एवं चातुर्मास कमेटी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्र. अविनाश जैन भोपाल ने किया। भूपेंद्र काला ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। चातुर्मास के दौरान सेवा देने वाले और संयम नियम धारण करने वाले श्रद्धालुओं को मुनिराजों को नई पिच्छिका देने और पुरानी लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पुरानी पिच्छिका प्राप्त करने वाले श्रावकश्रेष्ठियों को श्रुति पाटनी द्वारा बनाई गई मुनिराजों की पेंटिंग भी भेंट की गयी। संध्याकाल में समाज का स्नेह भोज भी हुआ। कार्यक्रम में विधायक आशीष शर्मा भी उपस्थित हुए।  


मुनिश्री निर्मदसागर जी ने कहा परमार्थ भाव से कमाया हुआ पुण्य मुक्ति का कारण बनता है। पिच्छिका का वजन तो कम होता है, लेकिन इसे धारण करने वाले का व्यक्तित्व बहुत भारी होता है। पिच्छिका रत्नत्रय का प्रतिक होती है और रत्नत्रय के धारी इसे धारण करते हैं। इसकी दण्डी सम्यक ज्ञान, पंख सम्यक चारित्र और डोरी सम्यक ज्ञान का प्रतिक माने जाते हैं। मुनिश्री ने पिच्छिका के महत्व पर प्रकाश भी डाला।

इस अवसर पर मुनिश्री विनम्रसागरजी ने कहा कि जिस प्रकार आज इस पुरानी पिच्छिका का परिवर्तन हो रहा है, उसी प्रकार संसार भी परिवर्तनशील है। इसलिए मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए। पिच्छिका संसार की विषय-वस्तुओं को बहुत हल्का कर देती है। मुनिश्री ने कहा कि हमारे अच्छे और बुरे कार्य ही हमारे परिणामों का कारण बनते हैं। जीओ और जीने दो के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए जो कल्याण की भावना के साथ आगे बढ़ते हैं, उनका जीवन महत्वपूर्ण है।   

इन सौभाग्यशालियों को मिली मुनिराजों की पुरानी पिच्छिका: 

मुनिश्री विनम्रसागर जी: अशोक-सुनीता सेठी इटावा वाला परिवार खातेगांव   

मुनिश्री निस्वार्थसागर जी: संजय-काजल जैन परिवार सागर    

मुनिश्री निस्पृहसागर जी: मदनलाल-ममता जैन परिवार जबलपुर 

मुनिश्री निश्चलसागर जी: अंकुर-चांदनी लुहाड़िया परिवार इंदौर 

मुनिश्री निर्भिकसागर जी: अशोक-राजकुमारी बाकलीवाल परिवार खातेगांव   

मुनिश्री निरागसागर जी: नितिन सेठी परिवार इंदौर   

मुनिश्री निर्मदसागर जी: संजय-अनु गंगवाल परिवार खातेगांव   

मुनिश्री निसर्गसागर जी: मुकेश-विनीता काला परिवार खातेगांव   

मुनिश्री ओंकारसागर जी: सर्वेश-रितु रारा परिवार खातेगांव

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