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जैनसंत आचार्यश्री विद्यासागरजी के दर्शन करने नेमावर पहुंची नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर

जैनसंत आचार्यश्री विद्यासागरजी के दर्शन करने नेमावर पहुंची नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर

नर्मदा तट पर दूर तक फैले ईंट भट्टों और प्रदूषण को देखकर हुई चिंतित


नेमावर/ हरदा
- सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में विराजित दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी के दर्शन कर मार्गदर्शन लेने नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर शनिवार को नेमावर पहुंची। पाटकर ने सर्वप्रथम आचार्यश्री के चरणों में श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पाटकर ने जनसेवा एवं सदकार्य के क्षेत्र में और अधिक उत्साह एवं ऊर्जा से कार्य करने हेतु आशीर्वाद माँगा। आचार्यश्री से पाटकर ने नर्मदा संरक्षण, पर्यावरण, गौ-पशु संरक्षण और कृषि क्षेत्र में सुधार, उत्तम स्वास्थ्य हेतु जैविक खेती आदि विषयों पर चर्चा कर मार्गदर्शन लिया।  

आचार्यश्री ने कहा कि हम भौतिकता की चकाचौंध में पुरातन संस्कृति को भूल रहे हैं। अधिक लाभ लेने के चक्कर में प्राकृतिक व्यवस्थाओं को बदला जा रहा है, जिससे हम भटकाव की ओर जा रहे हैं। नदियों से हमारी संस्कृति और पर्यावरण सुरक्षित है। गाय के साथ-साथ सम्पूर्ण गौवंश के संरक्षण की आवश्यकता है।   

जैन समाज खातेगांव के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी, पुनीत जैन एवं हरदा जैन समाज के ट्रस्टी राजीव रविन्द्र जैन पटवारी हरदा ने बताया कि पाटकर ने आचार्यश्री की प्रेरणा से संचालित प्रतिभास्थली एवं हथकरघा, हस्तशिल्प के बारे में ब्रम्ह्चारिणी सपना दीदी से विस्तार में समझा। ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेशचंद काला, संजय पाटनी सहित अन्य ट्रस्टियों ने आचार्यश्री द्वारा रचित मूकमाटी महाकाव्य भेंटकर पाटकर एवं उनके साथ में आए केदार सिरोही का सम्मान किया। क्षेत्र पर लगे हथकरघा प्रदर्शनी को देखकर पाटकर खासी प्रसन्न नजर आयीं।    


नर्मदा तट पर दूर तक फैले ईंट भट्टों और प्रदूषण को देखकर हुई चिंतित:आचार्यश्री के दर्शन के पश्चात पाटकर ने केदार सिरोही, रंजीत पटेल, दिनेश बांता सहित अपने सहयोगियों के साथ नर्मदा तट पर पहुंचकर मां नर्मदा को नमन करते हुए दीपदान किया। इसके साथ ही पाटकर ने कुछ दूर तक नर्मदा तट का अवलोकन भी किया। नर्मदा तट पर अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों, प्रदूषण और क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन को देखकर माँ नर्मदा के प्रति अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।

पाटकर ने कहा कि नेमावर माँ नर्मदा का नाभिस्थल है, इसके बावजूद सरकार और प्रशासन का इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं है। वैदिक पुराणों में अनेक जगह उल्लेखित नेमावर को धार्मिक नजरिए से भारत के नक्शे पर स्थान दिलाने के लिए इसे शीघ्र ही पवित्र नगरी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। नर्मदा संरक्षण हेतु शासन-प्रशासन के साथ-साथ आमजन को भी मजबूती से आगे आना चाहिए।

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