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एक मई को पूरी तरह ठप रहेंगी प्रदेश में बिजली सेवाएं, 6 अप्रैल को 1 दिन, 22 अप्रैल से तीन दिन का आंदोलन

एक मई को पूरी तरह ठप रहेंगी प्रदेश में बिजली सेवाएं, 6 अप्रैल को 1 दिन, 22 अप्रैल से तीन दिन का आंदोलन

भोपाल - प्रदेश के बिजली अधिकारी कर्मचारी 1 मई को पूरे प्रदेश में विद्युत सेवाओं का बहिष्कार करेंगे। सरकार की मांगों की अनदेखी से नाराज कर्मचारी इस दिन आवश्यक सेवा से भी ये खुद को दूर रखेंगे और कोई काम नहीं करेंगे। इसके पहले 2 अन्य चरण में काम का बहिष्कार किया जायेगा।


विद्युत अधिकारी कर्मचारियों के संयुक्त संगठन मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फ़ॉर पावर एंप्लॉय एवं इंजीनियर्स के द्वारा विद्युत अधिकारी कर्मचारियों की 5 सूत्रीय मांगों को लेकर निरंतर किये जा रहे आंदोलन के पश्चात भी शासन के द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। इससे अधिकारी कर्मचारियों में असंतोष गहरा गया है। मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम के प्रदेश संयोजक  व्हीकेएस परिहार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर एक बार फिर अपनी मांगों को दोहराते हुए चरणबद्ध कार्य बहिष्कार आंदोलन की घोषणा की है। 

मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम के द्वारा 23 फरवरी 21 को  ऊर्जा मंत्री से चर्चा की गई थी जिसमे उन्होंने सकारात्मक रूप से निराकरण हेतु शासन एवं कम्पनी प्रबंधन से बैठक के लिए आश्वस्त किया गया था जिसके परिणाम स्वरूप यूनाइटेड फोरम ने अपने आंदोलन को स्थगित किया था। 4 सप्ताह तक शासन की ओर से पहल न होने के कारण अब विद्युत अधिकारी आंदोलन के लिए बाध्य हैं।
  
संगठन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी लोकेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि चरणबद्ध कार्य बहिष्कार में 6 अप्रैल को प्रथम चरण में एक दिवसीय कार्य बहिष्कार होगा जिसमें आपातकालीन सेवाएं/जनरेशन/ट्रांसमिशन/ऑपरेशन 33/11 के.व्ही. सब स्टेशन छोड़ कर सम्पूर्ण दिवस कार्य का बहिष्कार होगा। द्वितीय चरण में 22 से 24 अप्रैल तक तीन दिवसीय कार्य का बहिष्कार होगा जिसमे 22 अप्रैल को कार्यालयीन कार्य का बहिष्कार, 23 अप्रैल को कार्यालयीन कार्य के साथ- साथ सभी प्रकार के रख -रखाव एवं सुधार कार्य का बहिष्कार एवं सभी अधिकारी कर्मचारी अपने अपने शासकीय मोबाइल भी बंद रखेंगे। 24 अप्रैल को सभी कार्यो के बहिष्कार के साथ साथ 24 घण्टे का विद्युत सब स्टेशनों की शिफ्ट ड्यूटी का कार्य बहिष्कार करेंगे। आंदोलन के तीसरे में चरण 1 मई मजदूर दिवस से  अनिश्चित कालीन सम्पूर्ण कार्यो का विधुत अधिकारी कर्मचारी बहिष्कार करेंगे।

प्रमुख मांगे ये हैं......

 केन्द्र शासन द्वारा वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए जारी किये स्टेण्डर्ड बिड डाक्यूमेंट को मध्यप्रदेश में लागू नहीं किया जाये एवं म.प्र.शासन द्वारा ट्रांसमिशन कंपनी के निजीकरण हेतु शुरू की गई टी.बी.सी.बी. योजना को वापस लिया जाये। म.प्र. की विद्युत कंपनियों में कार्यरत सभी संविदा अधिकारियों / कर्मचारियों को आन्ध्रप्रदेश एवं बिहार शासन की तरह नियमित किया जाये क्योकि सभी कर्मियों की भर्ती नियमित भर्ती प्रक्रिया के अनुसार विज्ञापन के माध्यम से की गयी है। म.प्र. की विद्युत कंपनियों में कार्यरत सभी वर्गों के बाह्य स्त्रोत कर्मचारियों की सेवायें तेलगांना / दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश के शासन की तरह सुरक्षित की जाये। म.प्र.रा.वि.म. के कर्मियों की पेंशन की व्यवस्था सुनिक्षित करते हुए उत्तर प्रदेश शासन की तरह गारंटी लेकर ट्रेजरी से पेंशन देना शुरू की जाये। अधिकारियों / कर्मचारियों के सभी वर्गों की वेतन विसंगतियाँ समाप्त किया जाये। कंपनी केडर के नियमित एवं संविदा कर्मियों को भी विद्युत देयक में 50 % छूट एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को पूर्व की भांति 25 % छूट प्रदान की जाये। वर्षों से लंबित फ्रिंज बेनिफिट पुनरीक्षित किये जायें एवं म.प्र.शासन द्वारा स्थगित किये गये डी.ए. एवं वार्षिक वेतन वृद्धि को तुरंत चालू कर बकाया राशि का भुगतान किया जाये। कंपनियों में वर्षों से लंबित संगठनात्मक संरचना का तुरंत पुननिर्धारण किया जाये एवं रिक्त पदों पर नई भर्तीयां की जावें जिससे कि विद्युत कंपनियों की कार्य क्षमता कायम सके एवं उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं के अनुसार विद्युत व्यवस्था सुदृढ की जा सके।

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