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एकीकृत होगा मध्यप्रदेश में लैंड रिकॉर्ड, एक ही डाटाबेस का उपयोग करेंगे सभी विभाग

एकीकृत होगा मध्यप्रदेश में लैंड रिकॉर्ड, एक ही डाटाबेस का उपयोग करेंगे सभी विभाग, वर्ष 2023 तक होगा तैयार 


राजस्व, नगरीय प्रशासन, पंजीयन, भू अभिलेख, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सब अब एक लैंड रिकॉर्ड पर करेंगे काम

लोकमत चक्र. कॉम ।

भोपाल : मध्यप्रदेश में आबादी सर्वे ड्रोन से करवा कर सभी कब्जाधारियों को आबादी के पट्टे उपलब्ध करवाने की योजना के के साथ अब एकीकृत लैंड रिकॉर्ड तैयार किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। जिसके चलते विभिन्न सरकारी विभाग राजस्व, नगरीय प्रशासन, भू अभिलेख, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, पंजीयन विभाग सब अब एक ही लैंड रिकॉर्ड का उपयोग करेंगे। यह लैंड रिकॉर्ड वर्ष 2023 तक तैयार हो जाएगा।

प्रदेश में अभी तक राजस्व विभाग अपना अलग लैंड रिकॉर्ड ,भूमि के नक्शे, खसरे तैयार करने का काम करता है। वही नगरीय प्रशासन विभाग शहरी क्षेत्रों में विकास योजनाएं बनाने के लिए अपने अलग लैंड रिकॉर्ड का उपयोग करता है। जमीनों और संपत्तियों की खरीदी बिक्री के लिए पंजीयन विभाग अपना अलग रिकॉर्ड तैयार करके रखता है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग भी अपना अलग डेटाबेस रखकर उसके आधार पर विकास योजनाएं तैयार करता है। 

अलग-अलग विभागों के अलग-अलग डेटाबेस और लैंड रिकॉर्ड होने के कारण कई बार दिक्कतें आती है ,एक विभाग का रिकॉर्ड दूसरे विभाग से मैच नहीं होने के कारण विवाद की स्थिति बनती है। नगरीय क्षेत्रों में ऐसे अधिकांश मामले कोर्ट में भी जाते हैं । इन सब समस्याओं से निजात पाने के लिए अब राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश का एक एकीकृत (इंटीग्रेटेड) लैंड रिकॉर्ड तैयार करने का निर्णय लिया है। सारे विभाग इसी लैंड रिकॉर्ड का उपयोग करेंगे । इसी लैंड रिकॉर्ड के आधार पर विकास योजनाएं बनेंगी। जमीनों की खरीदी बिक्री होगी और शहरों के विकास की योजनाएं भी तैयार की जाएंगी।

राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक समिति तैयार की है। इस समिति में आयुक्त भू अभिलेख, प्रमुख राजस्व आयुक्त, आयुक्त नगरीय प्रशासन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और मैप आईटी के अधिकारियों को शामिल किया गया है। मैप आईटी विभाग यह बताएगा कि एकीकृत (इंटीग्रेटेड) लैंड रिकॉर्ड तैयार करने के लिए जो सर्वे होगा उसमें किस तरह की कॉमन जानकारियां तैयार की जाए ताकि सभी विभाग अपनी अपनी जरूरतों के हिसाब से उसका उपयोग कर सकें । भविष्य में जब भी राजस्व विभाग अपने रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत और अपडेट करने के लिए सर्वे करेगा तो अन्य विभाग के अधिकारी भी उस सर्वे में साथ होंगे। लैंड रिकॉर्ड तैयार करने के लिए ड्रोन की मदद से सर्वे कराया जाएगा। 

इसके बाद खसरे और नक्शे तैयार होंगे और इनका दस्तावेजीकरण डिजिटल रूप से भी किया जाएगा। इसमें वे सभी जानकारियां होंगी जो अलग-अलग विभागों को अपने-अपने कामों के लिए जरूरी होती है। जब यह एकीकृत (इंटीग्रेटेड) लैंड रिकॉर्ड तैयार हो जाएगा और सारे विभाग एक ही डेटाबेस का उपयोग करेंगे तो किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति नहीं बनेगी। सब जगह एक जैसा रिकॉर्ड होगा। उसके आधार पर एक जैसी कार्यवाहिया भी अलग-अलग विभाग कर सकेंगे। उसमें रिकॉर्ड ना मिलने, एक जमीन दूसरे के नाम पर होने और मौके पर जमीन उपलब्ध ना होने जैसी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और न्यायालय में जाने वाले मामले भी कम हो जाएंगे।

● क्या कहना है इस संबंध में आयुक्त भू-अभिलेख का -

आयुक्त भू अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल का कहना है कि राजस्व विभाग, नगरीय प्रशासन और अन्य विभागों के साथ मिलकर इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड तैयार कर रहा है। इससे सारे विभाग एक ही डेटाबेस का उपयोग करेंगे और विवादों में कमी आएगी। यह लैंड रिकॉर्ड वर्ष 2023 तक तैयार हो जाएगा।

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