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मध्यप्रदेश में 2 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए होंगे अपात्र

मध्यप्रदेश में 2 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए होंगे अपात्र

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सुनाया फैसला

वर्ष 2001 के बाद तीन बच्चे वाले शासकीय सेवकों के लिए अपात्र का नियम है पूर्व से

लोकमतचक्र.कॉम।

ग्वालियर : देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा के बीच मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के फैसले के मुताबिक 2 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होंगे। इस संबंध में मध्यप्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के विरुद्ध एक अभ्यर्थी लक्ष्मण सिंह बघेल ने अपील की थी। हालांकि मध्यप्रदेश में पहले से ही वर्ष 2001 के बाद तीन बच्चे वाले शासकीय सेवकों के लिए अपात्र का नियम है, किंतु प्रशासनिक लापरवाही के चलते सैकड़ों की तादाद में उक्त नियम अंतर्गत अपात्र शासकीय सेवक मजे से नौकरी में जमें हुए है।


मध्यप्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के विरुद्ध एक अभ्यर्थी लक्ष्मण सिंह बघेल ने अपील कर कहा कि आवेदन करने के बाद तीसरा बच्चा हुआ था। ग्वालियर खण्डपीठ में अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शील नागू और आनंद पाठक की युगलपीठ ने कहा अभ्यर्थी भले ही आवेदन के समय दो बच्चों के पिता थे, लेकिन नियुक्ति से पहले तीसरे बच्चे के पिता बन गए। इसलिए अभ्यर्थी को मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम-1961 के तहत नौकरी के लिए अपात्र माना जाएगा। फैैैसले मेेंं कहा गया कि मध्यप्रदेश में 2 से ज्यादा बच्चों के माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए होंगे अपात्र तथा 3 बच्चे वाले सभी माता-पिता पर होगा लागू आदेश। मध्यप्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के अधिवक्ता अरुण कटारे ने बताया कि उच्च न्यायालय की युगल पीठ में लक्ष्मण सिंह बघेल की याचिका खारिज हो जाने के बाद अब मध्यप्रदेश में नौकरी कर रहे ऐसे सभी महिला-पुरुषों के अपात्र माना जाएगा, जिनके तीसरे बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ है।  

गौरतलब है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के 112 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। याचिकाकर्ता लक्ष्मण सिंह बघेल ने भी इन पदों के लिए आवेदन किया था। आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2009 थी। उस समय याचिकाकर्ता के 2 ही बच्चे थे। तीसरे बच्चे का जन्म 20 नवंबर 2009 को हुआ। लक्ष्मण सिंह की अपील थी कि आवेदन के समय याचिकाकर्ता के केवल दो ही बच्चे थे, इसलिए उसे सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के पद के लिए अपात्र नहीं माना जा सकता। सिंगल बेंच से पहले ही खारिज हो चुकी थी याचिका, उच्च न्यायालय ने उनके तर्क को खारिज करते हुए एकल पीठ के आदेश को सही माना और अपील को खारिज कर दिया। बता दें कि इससे पहले उच्च न्यायालय की एकलपीठ भी लक्ष्मण सिंह की अपील को खारिज कर चुकी थी।



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