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सरकार के खिलाफ कर्मचारियों की एकजुटता से निपटने सरकार आधे कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने की तैयारी में

सरकार के खिलाफ कर्मचारियों की एकजुटता से निपटने सरकार आधे कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने की तैयारी में

फरलो योजना और फार्मूला 20-50 एक साथ लांच करने का आइडिया...

क्या है फरलो योजना और फार्मूला 20-50 जानने के लिए पढ़े...

लोकमतचक्र डॉट कॉम।

भोपाल : सरकार के खिलाफ कर्मचारियों की एकजुटता को खंडित करने या फिर कहें कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार वर्ष 2002 के एक कानून का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। प्रदेश के कर्मचारी अपने महंगाई भत्ते, वेतन वृद्धि, वेतनमान ओर पदोन्नति को लेकर आंदोलन की राह पकड़ चुके है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की चेतावनी सरकार को दे दी है, वहीं कांग्रेस ने कर्मचारियों को समर्थन दे दिया है ओर इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखा यह जता भी दिया है।


कर्मचारियों के मामले में सरकारी खजाना खाली होने का रोना वाली सरकार के खिलाफ प्रदेश के कर्मचारी डीए, वेतनमान एवं सातवें वेतनमान के इंक्रीमेंट को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं। प्रदेशभर में ज्ञापन दिए जा रहे हैं। मंत्रालय के कर्मचारियों ने 1 दिन की हड़ताल का ऐलान कर दिया है। जल्द ही पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों की एकजुटता नजर आएगी। इस संकट से निपटने के लिए वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री को एक सुझाव दिया है और इस सुझाव का नाम है ' मध्य प्रदेश सिविल सेवाएं (फरलो) योजना 2002' एवं फार्मूला 20-50।

मध्य प्रदेश सिविल सेवाएं (फरलो) योजना 2002 क्या है ...?

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह योजना दिनांक 2 अगस्त 2002 से मध्य प्रदेश में लागू है। मूल रूप से यह योजना मध्य प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की डिमांड पर बनाई गई थी। इस योजना के तहत कोई भी कर्मचारी:- 
  • कम से कम 3 और अधिकतम 5 साल के लिए छुट्टी पर जा सकता है। 
  • छुट्टी के दौरान उसे 50% वेतन मिलेगा। 
  • छुट्टी के दौरान वह प्राइवेट जॉब कर सकता है या फिर अपना बिजनेस कर सकता है। 
  • छुट्टी पर जाने से उसकी सीनियरिटी प्रभावित नहीं होगी। 
  • छुट्टी के दिनों में इंक्रीमेंट नहीं मिलेगा लेकिन कर्मचारी अपनी पेंशन का हकदार होगा। 
  • फरलो योजना का लाभ उठाते हुए यदि कर्मचारी का निर्धन हो जाता है तो उसके आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के अधिकारी होंगे।

फार्मूला 20-50 क्या है ...?

इसके बारे में तो सभी जानते हैं। ऐसे कर्मचारी जिन की सेवा अवधि 20 साल अथवा आयु 50 साल हो गई है उन्हें दोबारा कसौटी पर कसा जाएगा। योग्यता और स्वास्थ्य के मामले में यदि कर्मचारी फेल हो गया तो उसका डिपार्टमेंट उसे अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर देगा। यह प्रक्रिया भी नई नहीं है और मध्यप्रदेश में कई बार इस फार्मूले के तहत कर्मचारियों को VRS दिया गया है।

कर्मचारियों के लिए 2021 में सरकार की प्लानिंग क्या है ...?

अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि इन दोनों को एक साथ कर्मचारियों के सामने रख दिया जाए। इसका फायदा यह होगा कि कई कर्मचारी 5 साल के लिए छुट्टी पर चले जाएंगे और इस दौरान उन्हें इंक्रीमेंट नहीं देना पड़ेगा। सबसे खास बात यह है कि इसी अवधि में विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव को जाएंगे। कर्मचारी नाराज नहीं होगा तो वोट बैंक भी प्रभावित नहीं होगा। 
यदि कोई कर्मचारी ज्यादा न्याय की बात करें तो उस पर फार्मूला 20-50 लागू कर दिया जाए। इसके अलावा डिपार्टमेंटल पॉलिटिक्स को थोड़ी छूट दे दी जाए। अधिकारी इस फार्मूले में फंसा कर उन तमाम कर्मचारियों को बाहर निकाल देंगे जिन्हें वह पसंद नहीं करते। ऐसा होने पर कर्मचारी, कार्रवाई करने वाले अधिकारी से नाराज होगा सरकार से नहीं।

कर्मचारी छुट्टी पर चले जाएंगे तो काम कैसे होगा ...?

इस सवाल का जवाब सबसे पहले तलाश कर लिया गया था। इसी जवाब ने तो पूरी प्लानिंग को जन्म दिया है। जब नियमित कर्मचारी छुट्टी पर चले जाएंगे तो उनकी कुर्सी पर आउटसोर्स कर्मचारी को बिठा दिया जाएगा। कितना भी ओवरटाइम करवा लो आउटसोर्स कर्मचारी सिर दर्द नहीं देता। चुपचाप काम करता है और कई बार तो अधिकारी के दबाव में आकर जोखिम भी लेता है। आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनी भी सरकार को आंख नहीं दिखाती बल्कि सरकार की सेवा में हमेशा हाजिर बनी रहती है।

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