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चौतरफा विरोध के बाद पुराना नियम वापस अब थाने में अपराध पंजीबद्ध होने के बावजूद मिल सकेगा कालेज में प्रवेश

चौतरफा विरोध के बाद पुराना नियम वापस 

अब थाने में अपराध पंजीबद्ध होने के बावजूद मिल सकेगा कालेज में प्रवेश

भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव ने जनभावनाओं को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग के उस विवादित आदेश को वापस ले लिया है जिसमें कहा गया था कि अपराधिक मामले दर्ज वाले छात्रों को विश्वविद्यालय और कॉलेजों में दाखिला नहीं मिलेगा। श्री यादव ने कहा कि सभी दलों के नेताओं ने इस नियम पर आपत्ति जताई है और मुझे उनकी आपत्ति सही भी लगती है। इसीलिए मैंने उच्च शिक्षा कमिश्नर को निर्देश दे दिए हैं कि सिर्फ अपराध पंजीबद्ध होने पर किसी भी छात्र को प्रवेश से वंचित न किया जाए।


छात्र राजनीति से जुड़े लोगों का आशंका थी कि इस आदेश से छात्र नेताओं का भविष्य चौपट होने की कगार पर आ जाएगा क्योंकि प्रिंसिपल के हाथों में यह अधिकार होगा कि वह उन छात्रों का भविष्य प्रभावित कर सकता है जिनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज होंगे। उनका तर्क था कि अपराधिक प्रवृत्ति वाले चुनाव जीतकर विधानसभा औऱ संसद तक पहुंच सकते है, लेकिन छात्रों को दाख़िला नहीं मिलेगा। यह सीधे सीधे छात्रों के हित के खिलाफ होगा।  नियम के अनुसार छात्रों को शपथ पत्र पर लिखकर देना था कि किसी भी राज्य में उनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज नहीं हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने भी ट्वीट कर के इस आदेश को तुग़लकी आदेश कहा था। उन्होंने इस आदेश को शिवराज सरकार का छात्रों का अहित करने वाला एक और आदेश बताया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ प्रकरण दर्ज होने से कोई अपराधी नहीं हो जाता है। कई छात्र नेताओं पर छात्रों की समस्याओं को लेकर किये गये आंदोलनों पर प्रकरण दर्ज हुए हैं।जो ख़ुद छात्र राजनीति से आज राजनीति के शिखर पर पहुँचे है,वो आज यह बेतुका निर्णय ले रहे हैं। प्रकरण दर्ज होने पर भी सांसद-विधायक बन सकते हैं लेकिन कालेजों में प्रवेश नहीं देना गलत है और कांग्रेस इसका विरोध करेगी।

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