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खेती बनी लाभ का धंधा : चार दोस्त मिलकर कर रहे गोंदागांव में खोट पर ली 30 एकड़ जमीन पर अश्वगंधा की खेती

खेती बनी लाभ का धंधा : चार दोस्त मिलकर कर रहे गोंदागांव में खोट पर ली 30 एकड़ जमीन पर अश्वगंधा की खेती

नीमच से लाये यह कृषकों ने साडे़ तीन लाख रूपये में साडे़ तीन क्विंटल बीज

लोकमतचक्र.कॉम।

टिमरनी। इन दिनों क्षेत्र का किसान अपनी परंपरागत फसलों की खेती को छोड़कर अन्य खेती की ओर अपना रूख कर रहा है। जिसका एक बडा़ कारण खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना है। ज्ञात हो की टिमरनी विकासखंड़ के ग्राम गोंदागांव गंगेश्वरी में चार दोस्तों के द्वारा करीब तीस एकड़ जमीन खोट पर ली और यह जमीन में ये चारों दोस्त जिनमें दीपक बांसवाना तजपुरा, महेश गोल्या गोंदा गांव कला, अर्जुन सेवल्या व आनंद ठुस्या अवगांव शामिल हैं जो चारों ही मित्रों ने मन बनाया की हम क्यूं ना नई खेती की ओर अपना रूख करें जो चारौं ने गोंदागांव खुर्द में खोट पर तीस एकड़ जमीन में अश्वगंधा की खेती मूंग कटाई के बाद शुरू की । जहां यह अश्वगंधा की खेती के पहले कृषकों के द्वारा मूंग की फसल ली जा चुकी थी जो अब उन्होंने दूसरी फसल के रूप में यह खेती शुरू की।


साडे़ तीन लाख रूपये में लाये साडे़ तीन क्विंटल बीज

इधर यह चारों ही क्रषकों के द्वारा साडे़ तीन लाख रूपये में करीब साडे़ तीन क्विंटल बीज लाये थे उक्त खेती को करने के लिये सबसे पहले मंदसौर व नीमच जिले में यह अश्वगंधा की खेती किस तरह से की जाती है वह देखा और वहां के क्रषकों से समझा और जाना भी। जो प्रति किलो इसके बीज की बात करें तो एक हजार रूपये प्रतिकिलो का यह बीज है जिसे जिस तरह से कोई किसान अपने पशुओं को खिलाने के लिये बरसीम की बुआई करता है उसी तरह से इसे फूंका जाता है जो उग आती है।

तजपुरा के क्रषक दीपक बांसवाना ने बताया की उक्त खेती के लिये 23 जून को अश्वगंधा की बुआई की थी जो पूरे पांच माह की फसल है वर्तमान में इस फसल की सुरक्षा को लेकर निंदाई का कार्य चल रहा है। जहां यह अश्वगंधा की फसल में जो जड़ें होती है वहीं काम की है जिसे ही अश्वगंधा कहते हैं। इधर जिस व्यापारी से बीज लाया गया है वहीं व्यापारी इसे 35 हजार से 40 हजार रूपये प्रति क्विंटल खरीदेगा।

बीच बीच में की लाल तुअर की बुआई भी

इधर उक्त क्रषकों के द्वारा अश्वगंधा की खेती के साथ साथ बीच बीच में लाल तुअर का बीज  भी लगाया गया ताकि लाल तुअर भी हो जाये जो लाल तुअर को मजदूरों के माध्यम से गढ़वाई गई। 👉🏻सन्दीप अग्रवाल की रिपोर्ट✍🏻

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