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खेतों में सर्वे करते नक्शा देख रहे कलेक्टर हुए ट्रोल...

खेतों में सर्वे करते नक्शा देख रहे कलेक्टर हुए ट्रोल...

 सोशल मीडिया से प्राप्त चित्र...।

जानकारों ने मौका मिलान से लेकर क्षति पत्रक बनाने पर दागे खतरनाक प्रश्न

बाढ़ग्रस्त जिलों में पटवारी के बिना जनता को कैसे मिलेगी समय पर राहत...❓

लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल : बाढ़ग्रस्त जिले श्योपुर के कलेक्टर श्री वर्मा जो कि पटवारियों के हड़ताल पर होने से खुद खेतों का सर्वे करने निकलने की फोटो सोशल मिडिया पर वायरल होते ही ट्रोल हो गए...। जमीन के नापजोख ओर राजस्व विभाग के पटवारियों के कामों के जानकार लोगों ने सोशल मीडिया पर अनेकों ऐसे प्रश्न रख दियें जिनका जबाव देना हर किसी के बस में नहीं है...। अमूमन एक पटवारी के पास छः से आठ गांव होते है ओर आपदा के समय राहत कार्यों को समय सीमा में तत्काल करने का दबाव अत्यधिक होता है, ऐसे में कलेक्टर द्वारा राजस्व, कृषि, पंचायत विभाग के दर्जनों लोगों के साथ हाथ में नक्शा लेकर खेत का सर्वे करना एक मजाक बन गया। जो कार्य एक अकेला पटवारी तत्काल करता है उसके लिए जिले के कलेक्टर दर्जनों कर्मचारियों को लेकर फोटो खिचवा रहे है...। हालांकि कलेक्टर की विचारधारा अच्छी होगी किंतु जो कार्य संभव नहीं उसका प्रदर्शन कर जनता की सहानुभूति मिलना तो दूर हंसी ठिठोली का मुद्दा जरूरत बन गया है। 

सोलश मिडिया पर आयें कमेंट ज्यों की त्यों प्रस्तुत है-

आदरणीय श्रीमान अगर यह सब सिर्फ फ़ोटो खिंचवाने के लिए नही है तो, कृपया इस गांव के प्रत्येक सर्वे नम्बर पर जाकर नुकसानी का वास्तविक आंकलन कर, साथ में मिलने वाले प्रत्येक किसान को उनके एक के बाद एक उठने वाले सवालों का संतुष्टिपूर्ण उत्तर देते हुए , चार गांव का सर्वे एक दिवस में कर शाम को घर पहुच कर प्रत्येक गाँव का कच्चा डेटा जो आप खसरे पर हाथ से लिखकर लाये है , जिसमे लगभग 4000 सर्वे नम्बर है का 25 कॉलम वाली जानकारी एक्सेल शीट में सटीक त्रुटिरहित लगभग 1000 किसानों की जानकारी 2 घंटे में तैयार कर (इस बीच वरिष्ठ अधिकारियों को फ़ोन पर जवाब देते रहते हुए व्हाट्सएप्प पर "तत्काल जानकारी लावे" का दबाव झेलते हुए) सर्वे सूची मय गोस्वारा एकजाई करके चारो गांवो की अलग अलग प्रिंट स्वयं के खर्च से निकलवाकर, रात 8 बजे तहसील पहुँच कर । प्रकरण दर्ज करवाने की लाइन में लग कर बाबुओ के लाख नखरे झेल कर प्रकरण दर्ज करवाईयेगा । उसके बाद सर्वे सूची पर विभिन्न कर्मचारियों यथा  ग्राम पंचायत सचिव कृषि विस्तार अधिकारी राजस्व निरीक्षक तथा ग्राम सरपंच के हस्ताक्षर करवाने व उसका वाचन ग्रामपंचायत में कर वहाँ इसकी प्रति चस्पा करने की जवाबदेही लेकर,

सर्वे सूची के फोंट सही नही है पेज मार्जिन सही नही आदि पर डांट सुनने के पश्चात आप रात को 12 -1 बजे घर पहुचते है फिर सुबह आपको  7 बजे व्हाट्सएप्प पर सूचना मिलती है कि शाम 4 बजे तक सभी किसानों के बैंक एकाउंट नम्बर की लिस्ट मय कितनी राशि जारी होनी है कि एकजाई जानकारी 4 बजे तक नाजिर शाखा में जमा करनी है तत्पश्चात एक दिन में चारों गांव घूम कर एक-एक किसान का चालू बैंक एकाउंट नम्बर कलेक्ट कर फिर घर पहुच कर फिर से एक्सेल में सारा कच्चा डेटा फीड कर सूचिया बनाकर नाजिर शाखा पहुचना है जहाँ फिर नाजिर का कंप्यूटर ऑपरेटर या बाबू दुनिया भर के नखरे दिखाते हुए लिस्ट लेगा उसमे 10 गलतिया निकाल के लिस्ट वापस कर देगा । फिर आप वही बैठकर लिस्ट सुधारेंगे के फिर जैसे तैसे लिस्ट जमा होगी।।

उसके बाद बिल लगने के बाद अगर किसान के एकाउंट में पैसा नही आता है तो 150 पन्नो की फैल चालान सूची में से उस किसान के एकाउंट no का मिलान हजारों एकाउंट से मैन्युअली कर सही एकाउंट नम्बर देकर फिर से बिल लगवाना है अब किसानों के खाते में पैसा आने के बाद मेरे एकाउंट में कम आया, उसके एकाउंट में ज्यादा आया। अपने हल्के में कम पैसे आये उस हल्के में तो ज्यादा आया किसानों जनप्रतिनिधियों अधिकारियों और ना बन्द होने वाली 181 की शिकायतें सबके सवालो के जवाब तब कहि जाकर पूरी होती है मुआवजा वितरण की प्रक्रिया क्या आप ये सब दो कार्यदिवस में कर पाएंगे या फिर यह सिर्फ एक ओर फ़ोटो शूट बनकर रह जायेगा ।

With very humble request 

An aware citizen🙏





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