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मोह-माया से परे जीवन का अंश ही हमें मोक्ष के द्वार पहुँचाता है...

मोह-माया से परे जीवन का अंश ही हमें मोक्ष के द्वार पहुँचाता है...

पूज्य सजग श्री माँ की विनयांजलि सभा में खातेगाँव विधायक आशीष शर्मा


लोकमतचक्र.कॉम।

खातेगाँव - स्वार्थ एवं मोह-माया से भरे वर्तमान दौर में आज सिर्फ और सिर्फ़ अपने लिए ही यह पूरी दुनिया जीती है और मरने के बाद मोक्ष के द्वार पर यत्र तत्र भटकती है,लेकिन मोह माया से परे हमारा जीवांश जब स्वार्थ के बजाय परमार्थ में अपनी कुंजी लगाता है तो मरण के साथ मोक्ष का द्वार स्वमेव ही खुलने लग जाता है। उक्त उद्गार क्षैत्रीय विधायक आशीष शर्मा ने स्थानीय बड़ा जैन मंदिर के सामने सकल दिगंबर जैन समाज खातेगाँव द्वारा गत दिवस आयोजित खातेगाँव की साधिका पूज्यनीय सजग श्री माँ (पूर्व गृहस्थ नाम श्रीमती मनोरमा काला) की प्रेरणा स्वरूप विनयांजलि सभा में अभिव्यक्त किए।

प्रारंभ में पूज्य सजग श्री माँ के चित्र का अनावरण विधायक  आशीष  शर्मा एवं इंदौर से पधारे बबलू भैया, सचिन जैन, सलील बड़जात्या एवं हरदा से महेंद्र  अजमेरा एवं नेमावर के सभी ट्रस्टियों ने किया एवं दीप प्रज्वलन  नेमावर वृत्ति आश्रम के  अधिष्ठाता  मुकेश भैया (ब्रम्हाचारी) ने किया, विनयांजलि सभा को हरदा नगर पालिका अध्यक्ष सुरेंद्र जैन,  राजेश  दुग्गड (चापड़ा) स्नेहलता सोगानी (उज्जैन), सुधा काला (भोपाल) अनु बीलाला (इंदौर) ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र चौधरी व आभार प्रदर्शन विपिन गंगवाल इंदौर ने माना।


यूँ बनी मनोरमा देवी सजग श्री माँ -

खातेगांव जिला देवास निवासी सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर न्यास के अध्यक्ष सुरेशचंद काला की धर्मपत्नी एवं सुशील, मनोज, विवेक काला की मातुश्री श्रीमती मनोरमा देवी काला ने गत 28 जुलाई को तिलवारा घाट जबलपुर में विराजे संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के समक्ष श्रीफल अर्पित कर संल्लेखना विधी से समाधि की भावना व्यक्त की थी तब आचार्य श्री ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर दो प्रतिमा धारण करवायी व आगे की साधना के लिए ललितपुर (उत्तरप्रदेश) के क्षेत्रपाल मंदिर में विराजमान आदर्श मति माताजी के पास जाने के संकेत दिए। 

आर्यिका आदर्शमति माताजी ससंघ के चरणों में साधिका मनोरमा देवी को गत 5 अगस्त को आचार्य श्री के आशीर्वाद से साधिका की साधना की दृढ़ता को देखते हुए ,दस प्रतिमा के साथ उन्हें  "सजग श्री माँ " के नामांकरण से नामांकित किया। वहां खातेगांव की साधिका श्री माँ जी ने निर्विकल्पता पूर्वक कठोर निर्जल उपवास किया, इस तरह सल्लेखना विधि से पूर्णत: आबद्ध प्रभु आराधना में रहते हुए गृहस्थ अवस्था  की मोह - माया से मुक्त होकर  तप, त्याग और साधना करते हुए जीवन मरण से भी अपनी मुक्ति को वरण किया।

साधिका सजग श्री माँ को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज  के अतिरिक्त निर्मापक मुनि समय सागर जी महाराज, मुनि योग सागर जी महाराज, मुनि प्रमाण सागर जी महाराज सहित आर्यिका पूर्णमति माताजी,आर्यिका अंतरमति माताजी सहित अनेक साधु-संतों ने भी उन्हें अंतिम समय में आशीर्वाद दिया।

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