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बोली के माध्यम से नीलाम होगी डूब क्षेत्र की भूमि, न्यूनतम दर एक हजार प्रति एकड़ राज्य शासन ने तय की दर

डूब क्षेत्र की भूमि बोली के माध्यम से होगी नीलाम, न्यूनतम दर एक हजार प्रति एकड़ राज्य शासन ने तय की दर

डूब क्षेत्र की भूमि पर खेती करने के लिए प्रति एकड़ एक हजार रुपए देने ही होंगे अब सरकार को


लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल। शासन की विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत डूब में आए क्षेत्र मैं भू-अर्जन का मुआवजा प्राप्त कर चुके किसानों द्वारा जमीन पर कब्जा करके की जा रही खेतीवाड़ी और भूमि बटाई पर दी जाकर मोटी रकम वसूलने की जानकारी राज्य शासन के संज्ञान में आने पर राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के अंतर्गत डूब की भूमि पर खेती करने के लिये न्यूनतम एक हजार रुपये प्रति एकड़ दर तय कर दी है। 

उल्लेखनीय है कि वर्षाकाल के बाद पानी उतरने पर बहुत से जलाशयों के किनारे पर डूब की भूमि खाली हो जाती है तथा इन पर खेती करने के लिये जल संसाधन विभाग इनकी नीलामी करता है। इसके लिये मप्र सिंचाई अधिनियम 1931 के तहत बीस साल पहले कार्यकारी निर्देश जारी किये गये थे जिसमें ऐसी डूब की भूमि किसान मात्र 5 रुपये या 6 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बोली में ले लेते थे। इससे विभाग को बहुत कम आय हो रही थी।

इसीलिये अब विभाग ने बीस साल पहले जारी निर्देशों में बदलाव कर दिया है तथा अब प्रथम वर्ष पट्टे पर दी जाने वाली डूब की भूमि की दर एक हजार रुपये प्रति एकड़ से कम नहीं होगी। यानि अब एक हजार रुपये तो न्यूनतम देना ही होगी तथा नीलामी में इस न्यूनतम राशि से ऊपर बोली लगाना होगी।

● इनका कहना है :

प्रदेश में डूब की भूमि करीब 3 लाख हैक्टेयर है तथा खेती के लिये इसकी नीलामी की जाती है। पहले नीलामी में बहुत कम राशि की बोली लगती थी, इसलिये अब प्रावधान कर दिया गया है कि प्रति एकड़ एक हजार रुपये तो देने ही होंगे तथा यदि बोली इससे अधिक राशि की लगती है, तो बढ़ी हुई राशि देनी होगी। ◆ जीपी सोनी, मुख्य अभियंता, बांधी, जल संसाधन, भोपाल।

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