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पंचायत परिसीमन निरस्त करने के अध्यादेश को चुनौती, कोर्ट ने 3 दिन में मांगा राज्य शासन, आयोग से जवाब

पंचायत परिसीमन निरस्त करने के अध्यादेश को चुनौती, कोर्ट ने 3 दिन में मांगा राज्य शासन, आयोग से जवाब 

लोकमतचक्र.कॉम।

इंदौर : हाईकोर्ट ने राज्य शासन द्वारा और 2019 में कमलनाथ सरकार के दौरान कराए गए पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करने संबंधी पंचायत राज स्वराज अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका के मामले में राज्य सरकार, भारत सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से 3 दिन में जवाब मांगा है। ग्वालियर और इंदौर हाई कोर्ट खंडपीठ में लगी इन याचिकाओं की सुनवाई अब जबलपुर हाई कोर्ट में होगी।


मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, खंडपीठ इंदौर एवं ग्वालियर में चुनौती दी गई है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 243-ओ एवं पंचायत अधिनियम की धारा 121 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। सरकार के जिस अध्यादेश को याचिका में चुनौती दी गई है, उसके प्रभावशील होने के बाद वर्ष 2019 में हुआ पंचायतों का परिसीमन और आरक्षण शून्य हो गया है। इसके विरुद्ध दायर याचिका की आज हुई सुनवाई में ग्वालियर खण्ड़पीठ में मुख्य न्यायाधिपति रवि मालीमथ एवं न्यायाधीश राजीव कुमार अग्रवाल की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता राजकुमार हिंडोलिया की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एवं पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने पैरवी की। 
इंदौर में लगी धारा 243 सम्बन्धित याचिका पर प्रशासनिक न्यायाधीश सुजय पाॅल एवं  न्यायाधीश प्रणय वर्मा की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता हैदर पटेल की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने पैरवी की। दोनों याचिकाओं में नोटिस जारी कर न्यायालय ने सरकार को 3 दिन में उत्तर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। बताया गया कि सभी याचिकाओं की आगामी सुनवाई अब जबलपुर मुख्य पीठ के समक्ष होगी। गौरतलब है कि इंदौर खंडपीठ के समक्ष लगी याचिका हैदर पटेल विरुद्ध भारत सरकार एकमात्र याचिका है जिसमें अनुच्छेद 243-O की संवैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है। इसलिए भारत सरकार से जवाब मांगा गया है। अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने बताया कि राज्य सरकार, भारत सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से यह जवाब मांगा गया है।

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