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फसल को शीत लहर व पाले से बचाने के लिये किसानों को उपयोगी सलाह, किसान करें ये उपाय...

फसल को शीत लहर व पाले से बचाने के लिये किसानों को उपयोगी सलाह, किसान करें ये उपाय...


लोकमतचक्र.कॉम।

रबी की फसलो को शीत लहर पाले से काफी नुकसान होता है। जब तापक्रम 5 डिग्री से.ग्रे. से कम होने लगता है तब पाला पड़ने की पूर्ण संभावना होती है। उपसंचालक कृषि विभाग हरदा श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत ने बताया कि हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये, दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर मे पाला पड़ने की संभावना रहती है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नही होता है। परन्तु यही इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलो के लिए नुकसानदायक है।

खेतों की सिंचाई जरूरी

जब भी पाला पड़ने की संभावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नही गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5-2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोत्तरी हो जाती है।

पौधे को ढ़के

पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिन्दु तक नही पहुंच पाता और पौधें से बच जाते है। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

खेत के पास धुंआ करे

अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खते में धुंआ पैदा कर दे, जिससे तापमान जमाव बिन्दु तक नही गिर पाता और पाले से होने वाली क्षति से बचा जा सकता है।

रासायनिक उपचार

जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनो फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़के। ध्यान रखे कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहे।सल्फर 90 प्रतिशत डब्ल्यू.डी.जी. पाउडर को 3 किलोग्राम 1 एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें। सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यू.डी.जी. पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रें करें।

दीर्घकालीन उपाय

फसलो को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेंड़ो पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानो पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू एवं जामून आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झौकों से फसल का बचाव हो सकता है।

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