विधानसभा में OBC आरक्षण पर चर्चा, CM शिवराज बोले, ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे पंचायत चुनाव
लोकमतचक्र.कॉम।
भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में मंगलवार को कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी जिसमें केंद्र सरकार भी सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 3 दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा कानूनविदों से इस बारे में चर्चा की है। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही दोपहर तीन बजे के लिए स्थगित कर दी गई।
इसके पहले स्थगन प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि कोर्ट के ऑर्डर का बहाना न बनाएं। हम अब साथ कोर्ट चलते हैं। सदन सर्वसम्मित से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ओबीसी के कल्याण के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और न ही छोड़ेंगे। हमने नीट में 27 फीसदी आरक्षण दिया। हाल ही में हमने आठ हजार आठ सौ पदों पर भर्ती निकाली जिस पर 27 फीसदी आरक्षण दिया है।
पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण खत्म किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गूंज मंगलवार को विधानसभा में रही। इसका असर यह रहा कि प्रश्नकाल नहीं हुआ और सदन शुरू होते ही कांग्रेस द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को मंजूर करने की सहमति देते हुए अध्यक्ष ने इस पर चर्चा शुरू करा दी। कांग्रेस और भाजपा विधायकों, मंत्रियों की टोकाटोकी के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई और विधायक कमलेश्वर पटेल के प्रस्ताव पर सदन में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने सवाल-जवाब दिए।
मंगलवार को सदन के समवेत होने पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण नहीं होने पर कांग्रेस स्थगन प्रस्ताव पेश किया है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस पर कहा कि चर्चा हो, सरकार इसके लिए तैयार है। यह करोड़ों पिछड़ा वर्ग के लोगों के भविष्य से जुड़ा गंभीर विषय है लेकिन जब बात कही जाए तो रोकाटोकी नहीं हो। मेरी पूरी बात को सुना जाए। इस पर कमलनाथ ने सहमति दी तो विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि कई बार सदन के नेता बोलते हैं तो कई सदस्य सदन के बाहर चले जाते हैं या रोक टोक करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने स्थगन दिया था, उसे स्वीकार कर लिया चर्चा हो रही है। स्थगन प्रस्ताव पर 12 सूचनाएं विधायक डॉ गोविंद सिंह, कमलेश्वर पटेल, अजय टंडन, सतीश सिकरवार, एनपी प्रजापति, सज्जन सिंह वर्मा, पीसी शर्मा और जीतू पटवारी ने दी थीं जिस पर विधायक कमलेश्वर पटेल की सूचना अध्यक्ष ने पढ़कर सुनाई।
प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने पर विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि भारतीय संविधान में उल्लेख है कि पंचायत चुनाव रोटेशन में होना चाहिए। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने इस एक्ट को और मजबूत बनाया था। प्रदेश में बिना रोटेशन अधिसूुचना जारी की गई जबकि 2019 में कमलनाथ सरकार ने परिसीमन कराया था। तब ग्रामीण जन की सुविधा को ध्यान में रखकर परिसीमन कराया गया था। उन्होंने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार जल्दबाजी में निर्णय लेती है। तीन बार इसी सरकार ने रोटेशन में चुनाव कराए थे। उन्होंने निवाड़ी जिले के गठन में जल्दबाजी का भी उल्लेख किया। पटेल ने कहा कि 15 साल से यह सरकार पंचायतों के अधिकार छीनने का काम कर रही है। पंचायत चुनाव के लिए नई मतदाता सूची नहीं बनी है जो एक जनवरी को 18 साल के होंगे वे वोट से वंचित रहेंगे। जिला पंचायत आरक्षण की प्रक्रिया नहीं हुई है। फिर इतनी जल्दी क्यों थी? उन्होंने पंचायतों की मजबूती के लिए दिग्विजय सरकार के काम भी बताए। पटेल ने कहा कि कांग्रेस सरकार में उच्च शिक्षा में 27 प्रतिशत आरपक्षण दिया। यहां पिछड़ा वर्ग आरक्षण की बात हो रही है और पिछड़ा वर्ग आयोग में ताला जड़ा हुआ है। अगर रोटेशन से चुनाव होते तो कोई पीड़ित कोर्ट नहीं जाता।
सत्ता पक्ष विपक्ष की टोकाटाकी
पटेल जब प्रस्ताव पढ़ रहे थे तो भाजपा विधायक डॉ राजेंद्र पांडेय खड़े हुए और कुछ कहा तो कांग्रेस के विधायक जोर से बोलने लगे। इस पर अध्यक्ष ने खड़े होकर कहा कि रोका टोकी नहीं होना चाहिए। मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि पीड़ित पक्ष कौन है, उसके नाम का खुलासा होना चाहिए। फिर कांग्रेस के विधायक खड़े हो गए। विधायक गोविन्द सिंह ने कहा कि मंत्री सारंग को पूछने का अधिकार नहीं, अध्यक्ष पूछें तो पीड़ित का नाम बता देंगे। अध्यक्ष गौतम ने कहा कि किसी बात का खुलासा कराना है तो बात सामने आने दें।
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