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नरवाई जलाने पर लगा प्रतिबंध, आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध होगी कानूनी कार्यवाही

नरवाई जलाने पर लगा प्रतिबंध, आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध होगी कानूनी कार्यवाही

कलेक्टर ने धारा 144 के तहत प्रतिबन्धात्मक आदेश जारी किये


लोकमतचक्र.कॉम।

हरदा : जिले की भौगोलिक सीमाओं में खेत में खड़े गेहूँ के डंठलों अर्थात नरवाई एवं फसल अवशेषों में आग लगाये जाने पर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ऋषि गर्ग ने जन सामान्य के स्वास्थ्य पर खतरे के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए दण्ड प्रक्रिया संहित की धारा 144 अंतर्गत आगामी तीन माह के लिये प्रतिबंध लगाया है। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जावेगी। कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि जिले में फसल की कटाई के पश्चात अगली फसल के लिये खेत तैयार करने हेतु कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिये खेत में आग लगाकर गेहूँ के डंठलों को जलाया जाता है। नरवाई में आग लगाने के कारण विगत वर्षो में गंभीर स्वरूप की अग्नि दुर्घटनाएं घटित हुई है, जिसके कारण जन, धन एवं पशु हानि हुई है। 

कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि आग से उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसों के कारण वायु मण्डल एवं पर्यावरण प्रदूषित हुआ है, जिस कारण वायु मण्डल में विद्यमान ओजोन परत भी प्रभावित हुई है, जिससे पराबैंगनी हानिकारक किरणें पृथ्वी तक पहुँचती है जो कि मानव, पशुओं के लिये रोग का कारण होती है। साथ ही मध्यप्रदेश पर्यावरण विभाग द्वारा प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के प्रावधानों के अनुपालन के लिये सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिये अधिसूचित किया गया है। कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि पर्यावरण विभाग द्वारा अधिसूचना अंतर्गत नरवाई में आग लगाने वालों के विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिये दण्ड का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत 2 एकड़ तक के कृषकों को 2500 रूपये का अर्थदण्ड प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5 हजार रूपये प्रति घटना तथा 5 एकड़ से बड़े कृषकों को 15 हजार रूपये प्रति घटना अर्थदण्ड का प्रावधान है। 

नरवाई जलाने से भूमि में होने वाले नुकसान

कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि नरवाई जलाने से असंख्य सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, फंगस, सहजीविता निर्वहन करने वाले सूक्ष्म लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है, जो कि भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता में सहायक होते है। नरवाई जलाने से खेत की उर्वरता में गिरावट आ रही है, जिससे फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। । नरवाई जलाने से भूमि की जल भरण क्षमता एवं बोये गये बीज की अंकुरण क्षमता भी प्रभावित होती है।

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