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फर्जी किसानों के नाम की करो जाँच, अब इन किसानों की होगी जांच

फर्जी किसानों के नाम की करो जाँच, अब इन किसानों की होगी जांच...

उपार्जन से पहले कलेक्टरों को निर्देश, दोषी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर 

लोकमतचक्र.कॉम।
भोपाल : खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग में रबी सीजन में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी के लिए पंजीयन कराने वाले किसानों को सख्ती से जांच करने के निर्देश किए हैं। विभाग ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर केवल वास्तविक किसानों से गेहूं के उपार्जन के लिए आधार सत्यापन (ओटीपी, बायोमीट्रिक) के आधार पर पंजीयन की व्यवस्था की गई है। कुछ कृषकों के खसरे आधार से लिंक न होने की वजह से समिति स्तर पर कृषकों के  खसरे पंजीयन में जोड़े जाने की विशेष सुविधा भी दी गई है लेकिन केवल पंजीकृत कृषक के नाम से ही उसके भूमि स्वामी के वास्तविक खसरे/रकबे लिंक होना चाहिए।
प्रमुख सचिव खाद्य और नागरिक आपूर्ति द्वारा दिए निर्देश में कहा गया है कि पंजीयनकर्ता किसान और खसरा अभिलेख में दर्ज भूमि स्वामी के नामों में अंतर की जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई है। नामों में अंतर की प्रथम जांच संचालनालय स्तर पर करा ली गई है। अब पोर्टल पर केवल वही नाम जांच एवं सत्यापन के लिये उपलब्ध कराए गए हैं जिनमें प्रथम दृष्टया कोई भी समानता प्रदर्शित नहीं हो रही है। प्रदेश में ऐसे पंजीयन की संख्या लगभग 8 से 10% है। विभाग ने कहा है कि पंजीकृत किसान के आधार डेटाबेस में दर्ज नाम एवं खसरा अभिलेख में दर्ज नाम में व्यापक अंतर होने पर कार्रवाई की जाए। साथ ही 3 मार्च से 5 मार्च और 8 मार्च से 10 मार्च की अवधि में हुए पंजीयन की भी जांच कराई जाए। सिकमी, बटाईदार, ट्रस्ट के संबंध में हुए पंजीयन, 11 हेक्टेयर से अधिक पंजीकृत रकबे का कृषि भूमि सीमा अधिनियम के अंतर्गत सत्यापन करने के लिए भी कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है।

अशोकनगर में मिला फर्जी उपार्जन पंजीयन

विभाग में अशोकनगर जिले में हुई गड़बड़ी का जिक्र करते हुए कहा है कि यहां आनंदपुर ट्रस्ट की भूमि पर सेवा सहकारी समिति सहराई और डोंगर के कर्मचारियों ने राजवेंद्र सिंह के नाम से पंजीयन कर दिया। जांच में पंजीयन के समय समुचित दस्तावेज भी प्रस्तुत करना नहीं पाया गया। इस प्रकार सहकारी समिति द्वारा संचालित पंजीयन केंद्रों पर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व/मंदिर ट्रस्ट भूमि
का पंजीयन भूमि स्वामी के सहमति के बगैर सोसाइटी के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर करा लिया गया है। कलेक्टर अशोकनगर द्वारा इस मामले की जांच के बाद दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सत्यापन में अशोकनगर जिले में अभी तक पंजीकृत 57500 हेक्टेयर रकबे में से 71 सौ हेक्टेयर (12.40%) रकबे की कमी की गई है। असत्यापित रकबे पर उपार्जित फसल का मूल्य लगभग 57.25 करोड होता है। सभी कलेक्टरों से कहा गया है कि भूमि स्वामी/ट्रस्ट/ मंदिर आदि द्वारा धारित भूमि पर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा समितियों से सांठगांठ करके पंजीयन कराए जाने की बारीकी से जांच की जाए। अनियमितता पाए जाने पर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए और असत्यापित रकबे को पंजीयन में से कम किया जाए।

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