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भगवान श्री महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक हर्षोल्लास से मनाया जैन समाज ने

भगवान श्री महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक हर्षोल्लास से मनाया जैन समाज ने

सत्य, अहिंसा तथा जिओ ओर जिने दो के महावीर भगवान के सिद्धांत जीवन की राह दिखाते हैं

कलेक्टर ऋषि गर्ग एवं पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल ने जैन मंदिर पहुंच कर किये श्रीजी के दर्शन


लोकमतचक्र.कॉम।

हरदा : वर्तमान जिनशासन नायक भगवान श्री महावीर स्वामी के 2621 वें जन्मकल्याणक को जैन धर्मावलंबियों द्वारा हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को भगवान महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक काफी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी को सामाजिक क्रांति के शिखर पुरुष के रूप में भी जाना जाता है। उनके जीवन में अहिंसा, करुणा, दया आदि का खास स्थान था। महावीर जन्मकल्याणक को जैन समाज पूरे हर्षोल्लास से उत्सव की तरह मनाता है और विश्व शांति का कामना तथा प्राणीमात्र के सुख समृद्धि को लेकर शांतिधारा कलश करता है। इस अवसर पर कलेक्टर ऋषि गर्ग एवं पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल ने श्री दिगम्बर जैन मंदिर पहुंच कर श्रीजी के दर्शन किये एवं पालना झूलाया।

भगवान महावीर जन्म कल्याणक के बारे में जानकारी देते हुए दिगंबर जैन समाज हरदा के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जो जैन धर्म के आखिरी आध्यात्मिक गुरु थे। भगवान महावीर का बाल्यावस्था में नाम वर्धमान था। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था । राजा के घर में जन्मे महावीर ने संसार की कुरितियों से विरत होकर तमाम भौतिक सुविधाओं को त्यागकर 30 वर्ष की आयु में घर छोड़कर 12 साल कठोर तप करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और वह तीर्थंकर कहलाएं। उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया, सभी जीवों को जिओ ओर जिने दो का संदेश देकर जीवन की राह बतलाई। 

महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर जैन समाज द्वारा प्रातः काल मंदिर जी में भगवान महावीर की 64 रिद्धि सिद्धि मंत्रों के साथ बृहद शांति धारा की विधान विधान पूजन के पश्चात भगवान महावीर स्वामी की भव्य शोभायात्रा चांदी के विमान पर सवार कर नगर में निकाली गई, जिसमें पुरुष वर्ग सफेद वस्त्र धारण किए थे तो महिलाओं ने केसरिया वस्त्र पहने थे। नगर में निकले भगवान महावीर जी की आरती उतार कर जैन समाज के साथ ही अन्य समाज, संप्रदाय और सामाजिक संगठन में शोभा यात्रा का अभिनंदन किया। शोभायात्रा में महिलाओं ने गरबा नृत्य किया, युवाओं ने रास्ते भर जोरदार जयकारे लगाये।

इसके पश्चात मंदिर जी में भगवान महावीर स्वामी के अभिषेक किए गए जिसमें 4 कलशो से अभिषेक किया गया जिसका सौभाग्य अशोक अभय आलोक बड़जात्या परिवार, महेंद्र संजय प्रसंग पाटनी परिवार, यतींद्र, महेंद्र, वेदांत अजमेरा परिवार, चेतन लहरी परिवार ने प्राप्त किया।  शांतिधारा का सौभाग्य संदीप रितु पोद्दार भोपाल रविन्द्र राजीव राहुल रपरिया परिवार हरदा को प्राप्त हुआ। अभिषेक के पश्चात भगवान महावीर स्वामी की आरती उतारी गई जिसका सौभाग्य बालेंद्र सिंघई परिवार को प्राप्त हुआ एवं महिला परिषद के द्वारा भगवान महावीर के पालना झुलाने का आयोजन किया गया जिसमें पालना झूलाने का सौभाग्य प्रथम साक्षी विनित जैन, द्वितीय सुनीता बालेन्द्र सिंघई, तृतीय ज्योति पूजा सुनीता लहरी, चतुर्थ साधना सुशील बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ।

महावीर जयंती का महत्व

12 साल की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर जन्मकल्याणक तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।

क्या है पंचशील सिद्धांत 

जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया। भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है। उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है।

भगवान महावीर के प्रेरणादायक विचार

● ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है। बस सही दिशा में अपना पूरा प्रयास करके देवताओं को पा सकते हैं।

● हर आत्मा अपने आप में आनंदमय और सर्वज्ञ है। आनंद हमारे अंदर ही है इसे बाहर ढूंढने की कोशिश न करे।

● हर एक जीवित प्राणी के ऊपर दया करो। घृणा से केवल विनाश होता है।

● खुद पर विजय प्राप्त करो। क्योंकि यह एक चीज लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

● सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध हो, बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है।

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