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हाईकोर्ट के फैसले के बाद खत्म हो गई निकाय चुनाव में नेतागिरी करने वालों की दावेदारी...

हाईकोर्ट के फैसले के बाद खत्म हो गई निकाय चुनाव में नेतागिरी करने वालों की दावेदारी...

सबसे ज्यादा ओर सबसे कम OBC वोटर किस जिले में...?, जानने के लिए पढ़े...

भोपाल : प्रदेश में सबसे अधिक ओबीसी वोटर बालाघाट में और सबसे कम अलीराजपुर जिले में निवास करते हैं। ओबीसी आरक्षण के लिए तैयार रिपोर्ट पेश होने के बाद ओबीसी नेताओं में इसको लेकर सक्रियता बढ़ गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इस वर्ग से नेतागिरी करने वालों को झटका लगा है क्योंकि अब  नगरीय निकायों और पंचायतों के ओबीसी बाहुल्य इलाकों से चुनाव लड़ने की दावेदारी खत्म हो जाएगी। 

ओबीसी आरक्षण को लेकर तीन साल से टल रहे पंचायत और नगर निकायों के चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है जिसमें बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के आदेश दिए गए हैं। इससे निकाय स्तर की नेतागिरी करने को झटका लगा है। उधर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि प्रदेश में सबसे अधिक ओबीसी वोटर बालाघाट में हैं। यहां 69 प्रतिशत मतदाता ओबीसी हैं। इसके बाद राजगढ़ जिले में 67.2 और नीमच में 64.8 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। दूसरी ओर सबसे कम ओबीसी वोटर संख्या वाले जिलों में अलीराजपुर का नाम सबसे आगे है। यहां 6.1, झाबुआ में 8.3 और बड़वानी में 22 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। आदिवासी बाहुल्य इन जिलों में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मायूसी के बाद भी अभी भी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर जिलों और जनपदों में चुनावी दावेदारी करने वाले नेता अब जानकारी जुटाने में लगे हैं कि उनके जिले में किस नगरीय निकाय और जनपद, जिला पंचायत में ओबीसी वोटर ज्यादा हैं। 

राज्य स्तर पर तय हो आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के साथ प्रदेश में सत्ता से जुड़े ओबीसी नेताओं का कहना है कि पचास प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था केंद्र और राज्य स्तर पर तय होनी चाहिए। राज्यों को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे अपनी राज्य में ओबीसी आबादी अधिक होने पर उसे अधिक आरक्षण दे सकें और कुल आबादी के आधार पर एससी-एसटी के आरक्षण कम कर सकें। इसीलिए पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसकी अनुशंसा भी केंद्र से करने के लिए कहा है। हालांकि यह फिलहाल संभव नहीं दिखाई देता है। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने 35 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण दिए जाने की जो रिपोर्ट दी है, वह सही नहीं है। पचास फीसदी आरक्षण की रिपोर्ट का एक बार फिर मूल्यांकन किया जाना चाहिए। 

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