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अब पटवारियों की उपस्थिति भी सार्थक पर ...

अब पटवारियों की उपस्थिति भी सार्थक पर ...

पटवारियों में आक्रोश, कर सकते है आंदोलन...

लोकमतचक्र  डॉट कॉम।

भोपाल/खरगोन ।  मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में पूर्व में सार्थक एप पर मैदानी कर्मचारियों पटवारियों की उपस्थित लगाने के असफल प्रयोग के बाद अब खरगोन के कलेक्टर साहब यह प्रयोग अपने जिले में करने का असफल प्रयास कर रहे है। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने निर्देश दिए है कि अब राजस्व विभाग के पटवारियों को भी सार्थक पोर्टल पर उपस्थिति सुनिश्चित करना होगा। पटवारी चाहे 'तहसील कार्यालय में हो या फील्ड में हो। कहीं भी हों उन्हें सार्थक पोर्टल पर इंट्री करना होगी।


गौरतलब है कि पटवारी जो कि एक मैदानी कर्मचारी है उसकी उपस्थिति सार्थक ऐप के माध्यम से संभव नहीं है और पटवारी के कार्य की प्रकृति ऐसी है कि उसका प्रतिदिन निर्धारित समय पर एक स्थान पर उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करना संभव हो। पूर्व में खरगोन जिले के पड़ोसी खंडवा जिले में भी इस तरह का प्रयोग वहां के तात्कालीन कलेक्टर ने करने का प्रयास किया था जो कि पटवारियों की ओर पटवारी संघ के विरोध के बाद असफल हो गया था। अब से खरगोन कलेक्टर ने यह प्रयास किया है जिससे कि जिले के पटवारियों में रोष व्याप्त है और इस रोष का परिणाम पटवारियों का आंदोलन बन सकता है। अब देखना है कि कलेक्टर, महोदय खरगोन जिले में क्या आदेश निर्देश जारी करते हैं।

इस संबंध में मध्यप्रदेश पटवारी संघ की संवाद समिति के अध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि पूर्व में भी कतिपय जिलों में यह प्रकिया प्रांरभ की गई थी किंतु व्यहवारिक रूप सें संभंव न होने की वजह से यह असफल रही। शिक्षा विभाग ने भी इस एप की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है। जबकि वे निर्धारित समय व एक ही स्थान पर बैठ कर कार्य करने वाला विभाग है, फिर ऐसे में मैदानी कर्मचारी पटवारी जो कि चौबीस घंटे सातों दिन सौंपे जाने वाले कार्य को समयसीमा में संपन्ना कर रहे हैं, उन्हें सार्थक एप जैसे कई विभागों में फेल हो चुके एप के दायरे में लाना स्वयं शासन प्रशासन के लिये नुकसानदेह साबित होगा। इसमें व्यावहारिक परेशानियां है। पटवारी की नौकरी जमीनी स्तर की होने से वह कई स्थानों पर कृषकों की सुविधा के हिसाब किसी भी समय में उपलब्ध हो जाता है। अक्सर ग्रामीण जनता या तो सुबह 9 बजे के पहले या शाम 5 बजे बाद ही चौपाल पर आती है, जहां वह आसानी से पटवारी को मिल लेती है और पटवारी भी अपने राजस्व वसूली एवं अन्य सूचनाओं की तामिली तभी करा पाता है। कई बार तहसीलदार, एसडीओ द्वारा सीमांकन, सर्वे, विभिन्ना योजनाओं के दल बनाकर संयुक्त रूप से दल बनाकर एक दूसरें के हल्कें में भेजा जाता है। ऐसे समय में सार्थक एप्प पर अनुपस्थिति लगने की प्रबल संभावनाएं रहेगी। कई बार न्यायालय प्रकरणों की पैशी में पटवारियों को रिकार्ड लेकर या वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिलें एवं जिलें के बाहर भी बिना पूर्व सूचना के जाना पड़ता है। ऐसे तत्काल मामलों में सार्थक एप्प पर उपस्थिति लगवाने का संकट पैदा होगा। नामांतरण, बंटवारा, डायवर्शन के मौके मुआयना करने एवं प्रतिवेदन देने के लिए पटवारी गांव में सीधे मौके पर ही उपस्थित होता है, क्योंकि किसान उसका वही पर इंतजार करते हैं, ऐसे में समय सीमा की कोई बाध्यता नही रहती कि कब किसान संतुष्ट होगा और कब अगला काम किया जाएगा।



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