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मिशन चंद्रयान 3 सफल : चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग, भारत ने रचा इतिहास

मिशन चंद्रयान 3 सफल : चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग, भारत ने रचा इतिहास

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद पर सफल लैंडिंग के साथ ही आज पूरे विश्व में फिर भारत का परचम लहराया गया । भारत ने एक स्वर्णिम इतिहास रचते हुए सिद्ध कर दिया की भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में प्रगति कर रहा है । आज बुधवार 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने चांद के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Chandrayaan-3 Landing Update) की ओर ऐसा कारनामा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया । ISRO ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए शाम 6 बजकर 04 मिनट का वक्त तय किया था अपने तय समय पर ही चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने सफल लैंडिंग की। अब तक अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ इस तकनीक में महारत हासिल कर चुके हैं, हालांकि उनकी 'सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है।

आज हुई सफलतम लैंडिंग के बाद पूरे देश में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए इसे गौरवशाली उपलब्धि बताया ।

प्रतीक फोटो 










कैसा रहा चंद्रयान-3 का सफर

चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद सफलतापूर्वक अलग हुए थे। चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे 6, 9, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई थी, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके।

चंद्रयान-3 से क्या होगा हासिल?

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है। चंद्रयान-3 का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट-लैंडिंग (Soft Landing) करना, इसके रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना और कई वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट को अंजाम देना है। जैसे ही यह चांद की सतह पर पहुंचेगा, लैंडर और रोवर अगले एक लूनर डे या चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिनों के समान समय के लिए सक्रिय हो जाएंगे। ISRO के चंद्र अभियान का लक्ष्य चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने का है। ISRO ने इससे पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय उसका विक्रम लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया था।

चंद्रयान-3 इतना अहम क्यों?

चंद्रयान- 3 का अभियान न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अहम है। लैंडर चांद की उस सतह पर जाएगा, जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी मौजूद नहीं है। लिहाजा इस अभियान से हमारी धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के विषय में जानकारी और बढ़ेगी। इससे न केवल चांद के बारे में, बल्कि अन्य ग्रहों के विषय में भी भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमता विकसित होगी।

'चंद्रयान-3' की लागत 600 करोड़ रुपये, 41 दिन की यात्रा

भारत ने 14 जुलाई को 'लॉन्च व्हीकल मार्क-3' (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपये की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन-'चंद्रयान-3' का प्रक्षेपण किया था। इस अभियान के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' आज कि, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है।

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