Breaking News

बिजली कर्मियों की हड़ताल पर सरकार हुई सख्त

बिजली कर्मियों की हड़ताल पर सरकार हुई सख्त, लगाया एस्मा, ब्लैकआउट हुआ तो होगी कार्रवाई


लोकमतचक्र डॉट कॉम।  

भोपाल। सरकार से नाराज चल रहे कर्मचारी संगठन  विधानसभा चुनाव आचार संहिता लगने के पहले हर तरह से सरकार पर दबाव  बना रहे है । इसी क्रम में अब बिजली कर्मचारियों ने कल शुक्रवार से हड़ताल का ऐलान कर दिया है । किंतु  बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पहले सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने हड़ताल को लेकर एस्मा लगा दिया है। ऐसे में बिजली कर्मचारी हड़ताल पर गए तो सरकार एस्मा की कार्रवाई करेगी ।

गौरतलब है कि, बिजली कर्मचारी अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर कल यानी शुक्रवार से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में प्रदेश में ब्लैकआउट वाले हालात बन सकते हैं। प्रदेश के 70 हजार बिजली कर्मी शुक्रवार से हड़ताल पर जा सकते हैं। बिजली कर्मचारियों की बिजली कंपनी के साथ हुई बैठक विफल होने के बाद प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के 52 जिलों के कलेक्टर को नोटिस दिया है।

उल्लेखनीय है कि बिजलीकर्मियों की पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक के साथ 3 दौर की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला था, जिसके बाद बिजली कर्मियों ने 52 जिले के कलेक्टरों को हड़ताल का नोटिस दे दिया है। बताया जा रहा है 70 हजार बिजलीकर्मी और 52 हजार पेंशनर हड़ताल पर जा सकते हैं।


यह है मुख्य मांगे

ज्वाइंट वेन्चर एवं टीबीसीबी वापस लें। पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था, डी. आर. के आदेश, चतुर्थ वेतनमान के आदेश। सातवें वेतनमान में 03 स्टार मैट्रिक्स विलोपित किया जाये। संविदा का नियमितिकरण एवं सुधार उपरांत वर्ष 2023 संविदा नीति लागू करें। आउटसोर्स की वेतन वृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा एवं 3 हजार जोखिम भत्ता करें। कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर कर मूल वेतन 25300 रुपए से अधिक किया जाए, वर्ष 2018 के बाद के कनिष्ठ अभियन्ताओं की वेतन विसंगति दूर की जाएं। उच्च शिक्षा प्राप्त कनिष्ठ अभियन्ताओं को सहायक अभियंता एवं कर्मचारियों को कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति हेतु नीति बनाई जाये। ट्रांसमिशन में आई. टी. आई. कर्मचारियों को क्लास 4 की जगह क्लास 3 में रखा जाए। अन्य मांगे जैसे सभी वर्गों की वेतन विसंगतियां, अनुकंपा नियुक्ति में मध्यप्रदेश शासन अनुसार नीतियों में सुधार, कैसलेस मेडिक्लेम पॉलिसी, गृह जिले में स्थानांतरण, संगठनात्मक संरचना का पुनर्निरीक्षण एवं अन्य मांग शामिल है।

कोई टिप्पणी नहीं