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श्रद्धेय भाऊसाहेब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला के 32वें वर्ष का प्रथम दिवस...

श्रद्धेय भाऊसाहेब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला के 32वें वर्ष का प्रथम दिवस...

वर्तमान चुनौतियाँ एवं राष्ट्र निर्माण में हमारा योगदान विषय पर डाॅ. माला सिंह ठाकुर अपने विचार व्यक्त किये


लोकमतचक्र डॉट कॉम।  

टिमरनी । श्रद्धेय भाऊसाहेब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला सरस्वती शिशु मंदिर, टिमरनी में प्रारम्भ हुई व्याख्यानमाला का यह 32वाँ वर्ष है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. पूर्णिमा अग्रवाल तथा मुख्य वक्ता डाॅ. माला सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद मालवा प्रांत सामाजिक कार्यकर्ता, इन्दौर द्वारा वर्तमान चुनौतियाँ एवं राष्ट्र निर्माण में हमारा योगदान विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुऐ कहा कि हम सब के लिये यह सौभाग्य की बात है कि हम सब भारत में जन्मे है। भारत क सामने अनेक चुनौतियां आई, जिससे हम सब लड़े और खड़े रहे। 

उन्होने बताया कि भारत का बाजार विज्ञापन में सबसे बड़ा बाजार है। जिसमें फिल्मों, विज्ञापनों तथा ओटीटी प्लेटफार्म के माध्यम से भारत की संस्कृति को बदलने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान चुनौतियों के बारे में उन्होने जो बाते कहीं उसमें मुख्य रूप से बाजारवाद शक्ति, भोगवाद ने हमें गुलाम बनाया। इससे लड़ने के लिए हमें वासुधैव कुटुम्बकम का भाव रखना चाहिए, सामाजिक समरसता से आगे बढ़ना चाहिए, स्वअनुशासन अपने जीवन में लाना चाहिए तथा शासन द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होने कहां कि इन सभी चुनौतियों से कैसे लड़े इस पर विचार करने पर ध्यान में आता है कि हिन्दुत्व ही इन सब का समाधान है। 

उन्होने एक घटना को याद दिलाते हुऐ कहां कि पणजी की एक घटना है कि एक माँ ने अपने 4 वर्षीय बालक की हत्या सिर्फ इस लिए कर दी कि वह अपने पिता से नही मिल सकें। यह हमारा समाज किस ओर आगे बढ़ रहा हैं इस पर विचार करना चाहिए, क्योकि बच्चों के लिए प्रथम गुरू माँ ही होती हैं। सांस्कृतिक विकिरण हमारे समाज का खोखला कर रहा है। हमारे राष्ट्र की शिक्षा नीति, किसान नीति, हिट एंड रन केस पर भ्रम फैलाकर देश के आम नागरिकों को भ्रमित किया जा रहा है। भारत को रूढीबादी कहने वाले यह नही जानते कि पूरे विश्व की हीरे कि कटिंग का 90 प्रतिशत काम भारत में होता है। इसी प्रकार 46 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्सन पूरे विश्व का भारत करता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए कहां कि भारत में जो महिलाओं की बचत करने की आदत के कारण कोरोना काल जैसी विकट परिस्थिति में भी परिवार की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव नही पड़ा। माताओं का ममत्व का भाव एवं संस्कृति आदि को समाप्त करने का षडयंत्र आज चल रहा है, इस पर हमे ध्यान देना चाहिए। 

एक उदाहरण देते हुऐ बताया कि कन्हैया टेलर का जो सर तन से जुदा किया गया, सोशल मिडिया पर लव जिहाद करना, सरकारी जमीन पर कब्जा करना इन सब के बारे में हमें जागरूक होना चाहिए। कुछ संगठनों के द्वारा निःशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य को आधार बनाकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। उन्होने बताया कि किसी देश को समाप्त करना हो तो उस देश की संस्कृति को समाप्त कर दें तो देश समाप्त हो जायेगा, और भारत अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है। लोग देश को जाति,धर्म,भाषा यहां तक की लिंग के आधार पर बांटने में लगे हुऐ है। हमें भारत के भौगोलिक विकास ही नही सांस्कृतिक विकास के बारे में भी सोचना चाहिए। अंत में उन्होेंने कहां कि स्वभाषा, स्वभूषा, स्वशिक्षा, स्वधर्म, स्वदेशी, स्वजन, स्वखानपान, स्वावलम्बन को अपनाकर वर्तमान चुनौतियों एवं राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दिया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.श्रेया अग्रवाल ने किया, आभार व्यक्त श्रीमती भावना रावत ने किया एवं कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गीत विद्यालय कि बहिनों के द्वारा गाकर किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या जिले से मातृशक्ति, सज्जनशक्ति, युवा एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहें।

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