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विश्नोई जाति को ओबीसी में किया जाए शामिल, समाज ने पीएम के नाम ज्ञापन दिया

केंद्र में विश्नोई जाति को ओबीसी में किया जाए शामिल, समाज ने पीएम के नाम ज्ञापन दिया

कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देते शामिल हुए समाज के सैकड़ों लोग


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

हरदा । मध्यक्षेत्र विश्नोई सभा ने मध्यप्रदेश में रहने वाली विश्नोई जाति को केंद्र में अन्य पिछड़ी जाति वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन शनिवार को कलेक्ट्रेट में डिप्टी कलेक्टर को सौंपा।

ज्ञापन के माध्यम से सभा के अध्यक्ष आत्माराम पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में निवासरत विश्नोई जाति लगभग 200 वर्ष पूर्व राजस्थान प्रांत से विस्थापित होकर मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों में स्थाई रूप से निवासरत होकर कृषि कार्य कर रही है, जो कि शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ी हुई है। प्रशासनिक नोकरियों व राजनीति में सहभागिता नगण्य है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने विश्नोई जाति को मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ी जाति वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया था किंतु विश्नोई जाति आज भी केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़ी जातियों के लिए संचालित केंद्रीय योजनाओं के लाभ प्राप्त करने से वंचित है। हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी अखिल भारतीय विश्नोई महासभा मुकाम द्वारा भी विश्नोई जाति को राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय पिछड़ी जाति वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने व केन्द्र सरकार की योजनाओं एवं नौकरियों में आरक्षण प्रदान कराने शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित किया गया। इसी तारतम्य में निवेदन है कि विश्नोई जाति को केन्द्र में अन्य पिछड़ी जाति वर्ग (ओबीसी) में शामिल कर केंद्र में आरक्षण प्रदान किया जाए। 

ज्ञापन देते समय मध्य क्षेत्र विश्नोई सभा के अध्यक्ष आत्माराम पटेल, विश्नोई सामाजिक न्याय समिति के अध्यक्ष हीरालाल खोखर, विश्नोई महासभा के सदस्य इम्रतलाल जाणी, मध्य क्षेत्र विश्नोई सभा के सचिव पूनम पवार, कोषाध्यक्ष श्यामलाल बाबल, लक्ष्मीनारायण पवार, समाज के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता आरडी झूरिया, मध्य प्रदेश विश्नोई युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुहागमाल पवार, राधेश्याम सारन, रमेश लोल, हरनारायण जाणी, नानकराम बेनीवाल, डा. जगदीश सारण, मोहन साईं, रविंद्र आंजना, बृज गीला, सुभाष जांगू , सतीश लोल, दीपक सारण, सहित सैकड़ों सामाजिक लोग मौजूद थे।

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