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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश : MP में लापरवाही का शिकार 'संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3' में चयनित स्मिता निगम को मिलेगी सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपए

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश : MP में लापरवाही का शिकार 'संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3' में चयनित स्मिता निगम को मिलेगी सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपए


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और इसके अधिकारियों की मनमानी एवं अड़ियल रवैये को लेकर उन्हें फटकार लगाई। कोर्ट ने निर्देश दिया कि स्मिता निगम (श्रीवास्तव) को 'संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3' या समकक्ष पद पर 60 दिन के अंदर नियुक्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि स्मिता ने अगस्त 2008 में 'संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3' में चयन के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की थी लेकिन उसे कोई नियुक्ति पत्र नहीं जारी किया गया।

एमपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि 60 दिनों के अंदर यह रकम महिला को अदा की जाए। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें राज्य सरकार और उसके अधिकारियों के अड़ियल, मनमाने, दुर्भावनापूर्ण रवैये के कारण अपीलकर्ता को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। दरअसल सरकार द्वारा 1990 में पूरे प्रदेश में गैर औपचारिक केंद्र खोले गए थे इसमें पलसीकर कॉलोनी निवासी स्मिता निगम (श्रीवास्तव) ने भी अपने घर पर औपचारिक केंद्र खोला था। जिसमें वे अनुदेशक के पद पर नियुक्त हुई थीं। इसके बाद सरकार ने संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 के लिए भर्तियां शुरू की इसमें अनुदेशकों को भी भर्ती के किए 2008 में विशेष परीक्षा आयोजित की गई थी। 

भर्ती का विज्ञापन जारी होने के बाद स्मिता ने भी परीक्षा में भाग लिया और वह परीक्षा पास भी हो गईं। इसके बाद भी सरकार ने कहा कि उन्हें संविदा शाला शिक्षक के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने औपचारिक केंद्र वर्ष 2000 तक नहीं चलाया। जबकि भर्ती विज्ञापन में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। स्मिता ने इसे लेकर इंदौर हाई कोर्ट में अधिवक्ता प्रसन्न भटनागर के माध्यम से याचिका दायर की। हाई कोर्ट इंदौर ने अपने फैसले में याचिका कर्ता को नौकरी तो नहीं दी लेकिन राज्य सरकार की इस गलती के लिए ₹1लाख की कास्ट लगाते हुए यह राशि स्मिता को देने की के आदेश दिए। हाई कोर्ट  के फैसले को स्मिता निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता एलसी पटने के माध्यम से चुनौती दी। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अधिकारियों के गैर जिम्मेदार रवैया के कारण याचिक कर्ता को नौकरी नहीं मिल पाई। इसलिए यह कास्ट की राशि 10 लाख रु उन जवाबदार अधिकारियों से वसूल की जाए जिनकी लापरवाही से याचिका कर्ता को नियुक्ति नहीं मिली और उनके खिलाफ कार्यवाही भी की जाए। याचिका कर्ता है स्मिता निगम इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सेवानिवृत्ति लिपिक संजय निगम की भाभी हैं।

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