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नेशनल हाईवे के लिए प्रस्तावित स्थान बदलने से नाराज भूमिस्वामीयों ने कांग्रेस के साथ किया चक्काजाम

नेशनल हाईवे के लिए प्रस्तावित स्थान बदलने से नाराज भूमिस्वामीयों ने कांग्रेस के साथ किया चक्काजाम

पूर्व विधायक डॉ दोगने ने स्थान बदलने पर लगाए गंभीर आरोप, दोषी अधिकारियों से की ब्याज बसूली की मांग


हरदा - जिले अंतर्गत स्वीकृत नेशनल हाईवे 47 के रिएलायमेंट के नाम पर भू अर्जन हो चुके किसानों का भुगतान रोकने से नाराज किसानों ने कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ आर के दोगने के साथ मिलकर आज चक्काजाम किया। किसानों का आरोप है कि नेशनल हाईवे 47 फोरलेन जो कि इंदौर से बैतुल बनने जा रहा है, जिसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण हो गई है, परन्तु भारतीय राष्ट्रिय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा भू-अर्जन अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को पत्र जारी कर अकारण ही ग्राम अतरसमा, अबगांवखुर्द, पिड़गांव एवं हरदाखुर्द का मुआवाजा रोकने के निर्देश दिए है एवं व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने हेतु उक्त सड़क मार्ग को एलाईनमेन्ट बदलने का प्रयास किया जा रहा है। जो कि उचित नही है। 

इसके कारण हरदा शहर का विकास कार्य रूका हुआ है और प्रोजेक्ट शुरू होने में 02 बर्ष से भी अधिक समय लगेगा, इस हेतु समस्त कांग्रेसजनों द्वारा  पार्टी सोमवार को ग्राम छोटी हरदा के पास नेशनल हाईवे 47 पर सोए हुए प्रशासन को नींद से जगाने के लिए चक्काजाम कर प्रदर्शन किया व हरदा एस.डी.एम को ज्ञापन सौपा जिस पर एस.डी.एम द्वारा 06 दिवस के अंदर उक्त कार्य को प्रारंभ करने हेतु आश्वसन दिया गया।

हरदा पूर्व विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने द्वारा बताया गया कि नेशनल हाईवे 47 फोरलेन सड़क मार्ग में अनावश्यक रूप से देरी की जा रही है। यह स्कीम केन्द्र सरकार की है एवं राज्य सरकार को भूमि मुआवजा की राशि भी प्राप्त हो चुकी है, फिर भी राज्य शासन, जिला अधिकारीयों व नेतागण द्वारा अनावश्यक कारण से राशि वितरित नही की जा रही है। केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा कोई भी आदेश व निर्देश प्राप्त हुए है है तो जिला प्रशासन उन आदेशों की प्रति किसानों को दी जावें साथ ही समाचार पत्रों में प्रकाशित करे। 

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की योजना का लाभ जल्दी मिले, यह सरकार का प्रोग्राम है, किन्तु अवार्ड होने के बाद व राशि प्राप्त होने के बाद भी जिला अधिकारीयों द्वारा अनावश्यक देरी की जा रही है एवं किसानों वजनता का नुकसान किया जा रहा है। जिन अधिकारीयों द्वारा देरी की जा रही है। उनसे (व्यक्गित) वेतन से ब्याज की राशि किसानों को वितरित करावे एसी जिम्मेउारी भी तय होना चाहिए। क्षेत्र की जनता को जो लाभ 02 बर्ष में मिलना चाहिए था। वह लाभ 04 वर्षो में के बाद मिलेगा एवं बार-बार यह वकत्वय आ रहे है कि 100 करोडत्र रूपयों की राशि बचत होगी जो कि तथ्य आधरहीन है। वास्तविकता तो बहुत ही अलग है। जिन लोगो से ये वक्तव्य आ रहे है। वो कोई इंजीनियर नही है और न ही कोई एनालिसिस बताई जा रही है। जबकि वास्तविकता निम्नानुसार है।

1. फोरलेन सड़क मार्ग वास्तविक अधिग्रहण से लगभग 03 कि.मी. ऊपर से एलाईनमेन्ट बदलाब किया जावेगा। तो स्ड़क मार्ग की लागत बढेगी, क्योकी जमीन बधिग्रहण जो किया जावेगा, उसमें फोरलेन हेतु भूमि अधिग्रहण किया जाना है। जबकि पूर्व से बने सड़क मार्ग 03 कि.मी. टूलेन हेतु दोनो साईउ पट्टी का अधिग्रहण हुआ है। मतलब अधिग्रहण हेतु डबल चौड़ाई की जमीन अधिग्रहित करनी होगी। जिससे जमीन अधिग्रहण की कीमत डबल भुगतान करना होगी। जो शहरी क्षेत्र के अधिग्रहण के बराबर ही भुगतान करना होगा।

2. टूलेन सड़क मार्ग पूर्व से निर्मित है। इसमें दोनो साईड पर निर्माण किया जाकर फोरलेन बन जायेगा एवं 03 कि.मी. रोड़ निर्माण में आधी राशी की लागत आवेगी।

3. इसी तरह सुखनी नदी पर पुल निर्माण टूलेन का है एवं टूलेन बनाना होगा जिससे पुल निर्माण की आधी लागत बचेगी एवं पुल की लंबाई कम रहेगी इससे करोड़ों रुपए की लागत कम होगी।
4. नवीन एलाइनमेंट के अनुसार पुल की लंबाई वर्तमान रोड निर्मित पुल से 3-4 गुना अधिक होगी एवं जो पुल बनाया जावेगा उससे करोड़ों रुपए अधिक लागत आवेगी, क्योंकि फोरलेन का ब्रिज बनाना होगा।

5. जिस एलाइनमेंट की बात की जा रही है उससे जिन ग्रामों से सड़क मार्ग गुजरेगा वहां नदी किनारे बसे ग्रामों में अतिवृष्टि के कारण जो जनधन की हानि होगी उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

6. जो सुविधा फोरलेन की जनता को 2 बस में मिलने वाली थी। वह अब 4 से 5 वर्ष बाद मिलेगी वर्तमान में रेल गेट की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।

7. निर्माण में देरी होने के कारण आवश्यक नहीं है कि ठेकेदार यह कार्य भविष्य में करें यदि करता है तो निर्माण सामग्री पेट्रोल-डीजल मजदूरी बढ़ेगी। तो वह टेंडर की शर्तो अनुसार वह एक्सीलेंस चार्ज विभाग से बसुलेगा जो कि 15 से 30 प्रतिशत तक होगी। यह कार्य पूर्ण होने की समय अवधि पर निर्भर करेगा और यदि नया अधिग्रहण भूमि का होगा तो वह पूर्व अधिग्रहण से ज्यादा की दरें होगी, और भी कई नुकसान होंगे। यह नुकसान 100 करोड़ों का फायदा नहीं बल्कि लगभग 200 से 300 करोड़ का नुकसान पहुंचाएंगे व जनधन की हानि का आकलन मुश्किल होगा।
8. इस परिस्थिति में यदि कोई किसान, समाजसेवी या प्रभावित व्यक्ति न्यायालय में जाकर स्टे ले आया तो यह प्रोजेक्ट ही रुक जाएगा जिससे क्षेत्र का बहुत बड़ा नुकसान होगा।

इस अवसर पर हरदा पूर्व विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने, जिला कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश पटेल, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष हेमंत टाले, महेश पटेल, भागीरथ पटेल, सुभाष पटेल, राधेश्याम सिरोही, मोहन बिश्नोई, अनिल सुरमा, शिवनारायण कापढ़िया, आनंद पटेल, विनय पटेल, सोहन पटेल, फूलचंद पटेल, रामेश्वर डागा, प्रशांत आँजने, रामदीन पटेल, प्रमोद तिवारी, राहुल पटेल, गोविंद व्यास, सेठी पटेल, मुन्ना पटेल, दिनेश दुगाया, राजेश बांके, उषा गोयल सुष्मिता राजपूत, अनुग्रह तोमर, धर्मेंद्र चौहान, योगेश चौहान, धर्मेंद्र शिंदे, राजू रिणवा, अनिल बिश्नोई, कृष्णा बिश्नोई, मुकेश यादव, योगानंद राजपूत, अमर रोचलानी, नरेश पाहुजा, विशाल बघेल आमिर खान सहित सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता किसान उपस्थित थे।

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