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भय पर भारी आस्था, पंचकोशी यात्रा को नहीं रोक पाया कोरोना का भय

भय पर भारी आस्था, पंचकोशी यात्रा को नहीं रोक पाया कोरोना का भय


हरदा/हंडिया -
प्रतिवर्ष फागुन माह में मॉ नर्मदा के तटों पर निकलने वाली पंचकोशी यात्रा को इस वर्ष कोरोना का भय भी नहीं रोक पाया। कोरोना का भय होने के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। सैकड़ो की तादाद में श्रृद्धालु पंचकोशी यात्रा पर निकले है। हालांकि श्रृद्धालुओं की संख्या गत वर्ष की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। 

प्रशासन द्वारा पंचकोशी यात्रा की अनुमति नहीं दी गई है किंतु यात्रा में आने वाले श्रृद्धालुओं की व्यवस्था ओर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए है। पंचकोशी यात्रा के रास्ते पर स्थित नर्मदा नदी के तटों पर पटवारियों ओर राजस्व निरीक्षकों को तैनात किया गया है। तहसीलदार डॉ अर्चना शर्मा अलसुबह से ही विभिन्न घाटों पर पहुंच कर स्थिति का जायजा ले रही है। पुलिस बल भी प्रशासन ने तैनात किया है।

पंचकोशी यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रास्तों में धर्मप्रेमियों द्वारा चाय नाश्ते के साथ भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है। श्रृद्धालु भी अपने पूर्ण आनंद के साथ भक्ति भाव से पंचकोशी यात्रा कर रहे है। पंचकोशी यात्रा का आज रात्रि पड़ाव हंडिया रिद्धनाथ का घाट है।


उल्लेखनीय है कि नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा है, परंतु इसका अधिकतर भाग मध्यप्रदेश में ही बहता है। मध्यप्रदेश के तीर्थ स्थल अमरकंटक से इसका उद्गम होता है और नेमावर नगर में इसका नाभि स्थल है। फिर ओंकारेश्वर होते हुए ये नदी गुजरात में प्रवेश करके खम्भात की खाड़ी में इसका विलय हो जाता है। नर्मदा नदी के तट पर कई प्राचीन तीर्थ और नगर हैं। हिन्दू पुराणों में इसे रेवा नदी कहते हैं। इसकी परिक्रमा का बहुत ही ज्यादा महत्व है।

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