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कलेक्टरों की नहीं शहरी भूमि पट्टे पर देने में रुचि, एक लाख आवेदन, सिर्फ 13 हजार पर निर्णय

कलेक्टरों की नहीं शहरी भूमि पट्टे पर देने में रुचि, एक लाख आवेदन, सिर्फ 13 हजार पर निर्णय

लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल : प्रदेश के नगरीय क्षेत्र में सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को राजस्व विभाग की धारणाधिकार योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले भूमि स्वामी अधिकार के क्रियान्वयन में कलेक्टरों की रुचि नहीं है। कलेक्टरों को पास इसको लेकर इस माह तक करीब एक लाख ऑनलाइन आवेदन पहुंच चुके हैं जिसमें से सिर्फ 13 प्रतिशत यानी 13 हजार केस ही निराकृत कर जमीन पर काबिज लोगों को तीस साल का पट्टा दिया गया है। 


राजस्व विभाग द्वारा धारणाधिकार योजना को लेकर डेढ़ साल पहले सितम्बर 2020 में सर्कुलर जारी किया गया था। इस व्यवस्था का न तो प्रचार प्रसार किया जा रहा है और न ही केस निराकरण किए जा रहे हैं। इसमें कहा गया था कि 31 दिसम्बर 2014 के पहले शहरी इलाकों में सरकारी भूखंड पर काबिज लोगों को तीस साल का स्थायी पट्टा दिया जा सकेगा ताकि उन्हें बैंक से लोन मिलने में आसानी हो और बार-बार शिफ्टिंग से राहत मिले। इसमें प्रावधान है कि आवासीय प्रयोजन के लिए दिए जाने वाले स्थायी पट्टे के मामले में 200 मीटर तक भूमि के लिए बाजार मूल्य का दस प्रतिशत और इससे अधिक पर 100 प्रतिशत प्रीमियम और भूभाटक जमा कराकर पट्टा दिया जा सकेगा। इसके अलावा व्यवसायिक और वाणिज्यिक भूमि के मामले में 20 वर्ग मीटर तक 25 प्रतिशत, 100 वर्ग मीटर तक 50 प्रतिशत और इससे अधिक भूमि होने पर बाजार मूल्य का 100 प्रतिशत प्रीमियम व भूभाटक जमा कराकर पट्टे दिए जा सकेंगे। 

अब तक आए हैं 99435 आवेदन

शासन ने व्यवस्था तय की गई है कि इसके लिए आवेदक को आॅनलाइन आवेदन करना होगा। पूरी कार्यवाही के लिए कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी होंगे जो अपर कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर से केस निराकृत कराकर पट्टा जारी करेंगे। सक्षम अधिकारी प्रकरण के अनुसार दावे और आपत्तियां आमंत्रित करने की उद्घोषणा का प्रकाशन अलग-अलग कार्यालयों में कराएगा। उनका निराकरण करने के बाद आगामी कार्यवाही हो सकेगी। जहां विवाद है, उसकी जांच भी प्रशासन की ओर से गठित समिति करेगी। इसके आधार पर कलेक्टरों के पास अब तक 99435 आवेदन आ चुके हैं जबकि निराकरण सिर्फ 13362 आवेदनों का हुआ है। 

इन जगहों का नहीं मिलेगा पट्टा

 सरकारी जमीन पर काबिज जिन स्थानों पर पट्टा नहीं दिया जाएगा, उसमें नदी या नाला या जल संग्रहण क्षेत्र के रूप में अभिलिखित स्थल, भू राजस्व संहिता की धारा 233-क के अधीन आरक्षित, किसी धार्मिक संस्था या माफी औफाक से संबंधित भूमि, नगरीय क्षेत्रों में पार्क शामिल हैं। साथ ही खेल के मैदान, सड़क, गली या अन्य किसी सामुदायिक उपयोग की, राजस्व वन भूमि यानि छोटे-बड़े पेड़ों का जंगल, न्यायालय में विचाराधीन भूमि, नगरीय निकाय में किसी विकास योजना से संबंधित, शासकीय परियोजना या सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूखंड पर भी पट्टा नहीं दिया जा सकेगा।

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