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भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक प.उपाध्याय ने सुदामा चरित्र का किया वर्णन

भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक प.उपाध्याय ने सुदामा चरित्र का किया वर्णन

समापन समारोह में दो जोड़ों का विवाह भी कराया गया

लोकमतचक्र.कॉम।

हरदा : कहार समाज धर्मशाला खेड़ीपुरा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम  दिन श्री सुदामा चरित्र, शुकदेव की विदाई और महाराजा परीक्षित को मोक्ष और सात दिनो की कथा का सूक्ष्मरूप से व्याख्यान कर प्रसंग सुनाया गया। 


कहार समाज के राजू हरणे ने बताया कि भागवत कथा के समापन पर सामूहिक विवाह का भी आयोजन किया गया था। जिसमे दो वर वधु के जोड़ो का सामूहिक विवाह कराया गया। जो हरदा तथा दूसरा नसरुल्लागंज से विवाह हेतु उपस्थित हुए थे। अंतिम दिवस नगर में समापन शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसर पर प्रसादी का भी आयोजन किया गया। जिसमे भक्तों ने भण्डारे में शामिल होकर प्रसादी का लाभ उठाया। 

कथा के अंतिम दिन कथा वाचक पं. विद्याधर उपाध्याय जी ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है। पं. विद्याधर उपाध्याय जी ने भक्तों को कथा रसपान कराते हुए कहा कि, हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए, कर्म करो लेकिन, फल की इच्छा मत करो। भगवान हमेशा सच्चे भक्तों में ही वास करते है।  

सुदामा चरित्र का बखान करते हुए कहा कि संसार में मित्रता भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। जिनकी कथा में सश्ची मित्रता दर्शाई गई है। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर लोग एक दूसरे को भूल जाते हैं। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया वह रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाएगा। सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। कथा का आयोजन कहार समाज  हरदा द्वारा कराया गया था। कथा में अंतिम दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचे। इस अवसर पर भण्डारे का भी आयोजन किया गया था। समापन अवसर पर समाज अध्यक्ष जितेंद्र हरणे ने सभी का सफल आयोजन पर आभार व्यक्त किया।

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