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चुनावी आरक्षण : प्रदेश के शहरी इलाकों में 44 और ग्रामीण क्षेत्र में 48 प्रतिशत OBC वोटर

चुनावी आरक्षण : प्रदेश के शहरी इलाकों में 44 और ग्रामीण क्षेत्र में 48 प्रतिशत OBC वोटर

लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल : प्रदेश में नगरीय क्षेत्र में 44 और ग्रामीण इलाकों में 48 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। इसके आधार पर अब राज्य सरकार पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। इसके अलावा अभी सरकारी विभागों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के पदों पर कार्यरत इस वर्ग के लोगों के वास्तविक आंकड़े सरकार के पास नहीं उपलब्ध नहीं हो सके हैं। इसलिए राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग इसकी प्रतीक्षा में है।


राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जरिये प्रदेश के सभी जिलों से यह जानकारी मांगी थी कि पंचायतों में ओबीसी वोटर्स की संख्या कितनी है? इसके साथ ही एक अन्य पत्र के माध्यम से अनारक्षित सीटों पर जीते ओबीसी वर्ग के नेताओं की जानकारी भी चाही गई थी। इसके लिए जनवरी के पहले सप्ताह की टाइम लिमिट तय की गई थी लेकिन समय पर जानकारी नहीं आ सकी। इसके साथ ही जो जानकारी आई, उसके टेबुलेशन में हुई देरी के चलते स्थिति स्पष्ट होने में समय लगा। सूत्रों का कहना है कि अभी भी आंकड़े पूरी तरह से साफ नहीं हैं क्योंकि कई जिलों से फार्मेट में सही जानकारी नहीं आई या फिर अलग फार्मेट में जानकारी दी गई है लेकिन अब तक जिलों से मिले आंकड़ों के आधार पर जो औसत प्रतिशत सामने आया है, उसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में ओबीसी वोटर का प्रतिशत 48 से 49 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 44 से 45 प्रतिशत ओबीसी वोटर होने की स्थिति बन रही है। सूत्र बताते हैं कि अब इसी के आधार पर राज्य सरकार कोर्ट में ओबीसी वर्ग को दिए जाने वाले बढ़े आरक्षण कोटे को मजबूत बताने की तैयारी में है। साथ ही इसके लिए रामजी महाजन आयोग के निर्णय को भी आधार बनाया जाएगा। आरक्षण के लिए कराई जाने वाली प्रक्रिया में भी इसका पालन किया जाएगा।
 
स्वरोजगार में ओबीसी की रुचि नहीं
ओबीसी वर्ग के सामाजिक विकास के आंकड़े जुटा रहे राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की बैठक दो दिन पहले हुई थी जिसमें सदस्य व विधायक प्रदीप पटेल समेत आयोग के अधिकारी मौजूद रहे। आयोग के समक्ष आए तथ्यों में यह बात भी सामने आई है कि ओबीसी वर्ग की ज्यादा रुचि स्वरोजगार योजनाओं में नहीं है। दुकान, ठेकेदारी, छोटे व बड़े उद्योगों में इस वर्ग की भागादारी कम है और सरकारी नौकरियां आसानी से सुलभ नहीं हैं। आयोग सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर सरकार को देगा। इसके अलावा सरकार को कुछ विभागों से तो जानकारी मिल गई है लेकिन सभी विभागों से यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि ओबीसी वर्ग के प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कितने कर्मचारी किस विभाग में पदस्थ हैं।

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