जाली दस्तावेजों के आधार पर लाखों रुपये की शासकीय जमीन को बेचने का मामला हुआ उजागर
जाली दस्तावेजों के आधार पर लाखों रुपये की शासकीय जमीन को बेचने का मामला हुआ उजागर
एसडीएम ने दिये एफ आई आर के आदेश
लोकमतचक्र डॉट कॉम।
नीमच । MP के नीमच जिले के ग्राम पंचायत तारापुर में पूर्व सरपंच व सचिव का बड़ा कारनामा सामने आया है। दोनों ने कूटरचित जाली दस्तावेजों के आधार पर लाखों रुपये की शासकीय जमीन को बेच डाला। इसमें पूर्व सरपंच के भाई की भी अहम भूमिका सामने आई है। शिकायतकर्ता ग्राम तारापुर के जगदीश पिता मांगीलाल कुमावत ने बताया कि ग्राम पंचायत तारापुर के पूर्व सरपंच पवन पिता सुखलाल सेन, उसके भाई राकेश पिता सुखलाल सेन व पूर्व ग्राम पंचायत सचिव घनश्याम जायसवाल ने मिलकर वर्ष 2018 में तारापुर में स्कूल के पास वाली ग्राम पंचायत क्षेत्र की। बता दें कि इन्होंने आवासीय शासकीय संपत्ति को षडयंत्रपूर्वक जाली दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी करते हुए उसे जावद निवासी गिरीश पिता मदनलाल गगरानी को बेच दिया।
इस मामले में जगदीश कुमावत ने जनसुनवाई में इसकी शिकायत की जिस पर जांच में उक्त जालसाजी की सत्यता सामने आई है। बता दें कि यह जालसाजी सिद्ध भी पाई गई। जिस पर 19 अक्टूबर 2022 को जावद के एसडीएम न्यायालय ने शासकीय जमीन को षड़यंत्रपूर्वक खुर्दबुर्द करने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया। इस आदेश में जावद SDM राजेन्द्र कुमार सिंह ने जनपद पंचायत जावद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) को उक्त वादग्रस्त शासकीय जमीन को खुर्दबुर्द करने वाले ग्राम पंचायत तारापुर के पूर्व सरपंच के भाई राकेश व तत्कालीन पंचायत सचिव के खिलाफ एफआईआर कर कड़ी कानूनी कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, जावद तहसीलदार को भी उक्त जमीन को विधि अनुसार अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दिए हैं।
पूर्व सरपंच व उसके भाई और सचिव द्वारा मिलीभगत कर कई गबन किए गए है। यदि अधिकारियों द्वारा जांच की जाए तो कई गबन सामने आ सकते है। भ्रष्टाचारियों द्वारा कई मामलों को अपने काले कारनामों से अंजाम दिया गया है। ऐसे में शिकायतकर्ता जगदीश कुमावत ने मांग की है कि इनके ख़िलाफ अन्य मामलों में भी जांच की जाए, जिससे कई मामले उजागर हो सकेंगे।
शासकीय संपत्ति को खुर्दबुर्द करने वालों में ग्राम पंचायत तारापुर के पूर्व सरपंच पवन पिता सुखलाल सेन की भी बड़ी भूमिका है। वहीं, एसडीएम कोर्ट द्वारा जनपद पंचायत जावद के सीईओ को तत्कालीन सचिव और सरपंच के भाई राकेश पर ही एफआईआर का आदेश दिया गया है जबकि उक्त कारनामें में पूर्व सरपंच की संलिप्तता के बावजूद उस पर एफआईआर का आदेश नहीं दिया गया है। शिकायतकर्ता ने इसे न्यायसंगत नहीं मानते हुए सभी दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
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