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किसान पुत्र - कृषि को लाभ का धंधा बनाने वाले, जनता के लिए समर्पित जननेता कमल पटेल

किसान पुत्र - कृषि को लाभ का धंधा बनाने वाले, जनता के लिए समर्पित जननेता कमल पटेल 

सेवा, समर्पण और विकास के बेमिसाल 03 वर्ष 


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

हरदा (सार्थक जैन) । हरदा जिले के लिए आज गौरव का दिन है । जिले को गौरवान्वित करने का अवसर आज से तीन वर्ष पूर्व 21अप्रैल 2020 को आया था जब लघु अंतराल के बाद मध्यप्रदेश में पुनः भाजपा की सरकार बनी ओर मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मात्र पांच सदस्यों की कैबिनेट में हमारे लाड़ले विधायक कमल पटेल पर विश्वास जताते हुए कृषि विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री का दायित्व सौंपा । यूं तो भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हरदा के जननेता कमल पटेल अपने अंदाज ओर समर्पित भाव से क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश में एक अलग मुकाम रखते है, किंतु कोरोना काल की कठिन परिस्थितियों में कृषि विभाग का दायित्व मिलना ओर उसके तहत स्वयं किसान पुत्र कृषक होते हुए कृषि को लाभ का धंधा बनाने की चुनौती को सहजता से लेते हुए यथार्थ के धरातल पर लागू करना कमल पटेल के ही बलबूते की बात थी। ओर यह कर दिखाया अपने तीन साल के समर्पित सेवा भाव से कृषि मंत्री कमल पटेल ने। 

यह कहना बेमानी नहीं होगा कि कृषि मंत्री कमल पटेल के प्रयासों से हरदा जिले के किसानों को ग्रीष्म कालीन फसल मूंग के लिए लगातार नहरों के माध्यम तवा का पानी मिला, भरपूर बिजली ओर खाद मिली, वहीं सरकार को मूंग फसल समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए तैयार करने वाले भी कमल पटेल ही है । कृषि मंत्री श्री पटेल ने वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए पानी छोड़ना शुरू किया जिससे नर्मदापुरम संभाग में 3 लाख 39 हजार 229 मे. टन लगभग 24 सौ करोड़ रु. वर्ष 2021 में 04 लाख 79 हजार 288 मै. टन, 3448.96 करोड़ और वर्ष 2022 में 5 लाख 71 हजार 507 मै. टन 4 हजार 157 करोड़ रु की मूंग की फसल किसान भाई-बहन ले पाए।


इसके साथ ही चना, मसूर, सरसों की फसल गेहूं को फसल के पहले आती हैं, जबकि उसका उपार्जन गेहूँ के बाद किया जाता था, जिसके कारण किसानों को मजबूरी में कम कीमत पर बाजार में अपनी उपज बेचना पड़ता था। कृषि मंत्री के सुज्ञाव पर सरकार के द्वारा पहली बार 15 मार्च से चना, मसूर, सरसों का उपार्जन गेहूं उपार्जन के पूर्व किये जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसके कारण किसानों को अपनी उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सका, जिससे लगभग 10 हजार करोड़ रु का फायदा किसानों को हुआ है, जो पहले व्यापारियों को होता था। ऐसे ही प्रयासों से कृषि मंत्री कमल पटेल ने खेती को लाभ का धंधा बनाया जिसके चलते उच्च शिक्षित, पढ़े लिखे कृषक पुत्र जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में उच्च पदों पर नौकरी कर रहे थे वो अपनी नौकरी छोड़कर आधुनिक कृषि कर रहे हैं ओर लाखों रुपए कृषि सै कमा रहे हैं ।

किसानों की कोई भी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने कमल सुविधा केंद्र की स्थापना की। वहीं कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री के साथ विशेष प्रयास कर मध्यप्रदेश में एपिडा कार्यालय की स्थापना कराई। जिससे कृषि उत्पाद निर्यात करने में सुविधा मिलेगी। इसी के साथ कृषि मंत्री के 3 साल के कार्यकाल में राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश को विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया। जिसमें एमपी फार्म गेट एप को सी.एस.आई.एस.आई.जी. ई गवर्नेस अवार्ड मिला। वहीं कृषि अधोसंरचना निधि के सर्वाधिक उपयोग हेतु बेस्ट फार्मिंग अवार्ड मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ। वहीं मिलेट मिशन योजना में भी बेस्ट इमेजिंग स्टेट का पुरस्कार मध्यप्रदेश को प्राप्त हुआ है।


कृषि मंत्री श्री पटेल ने अपने कार्यकाल में जब देखा कि फसल बीमा के अंतर्गत 100 हेक्टेयर भूमि के आधार पर नुकसानी का आंकलन फसल बीमा कंपनियां करती हैं तो उन्होंने उसके स्थान पर 50 हेक्टेयर पर फसल बीमा नुकसानी का आंकलन करने की व्यवस्था प्रारंभ की। इसी तरह वन ग्राम में रहने वाले पट्टेधारी किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता था, ऐसे वन ग्रमों को राजस्व ग्राम अर्थात पटवारी हलके में शामिल करके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ कृषि मंत्री ने दिलाया। कृषि मंत्री ने अपने कार्यकाल में केंद्र सरकार से चना, मसूर, सरसों की उपार्जन सीमा 25 क्विटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल करवाई। कमल पटेल के इन सब प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश के किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हुई है।

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