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कवेलू व ईंट बनाने वाले कुम्हार हर कहीं नहीं खोद पाएंगे मिट्टी

कवेलू व ईंट बनाने वाले कुम्हार हर कहीं नहीं खोद पाएंगे मिट्टी

उत्खनन क्षेत्र निर्धारित करेंगे कलेक्टर, परिवहन के लिए ईटीपी भी लगेगी

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। कवेलू, ईंट एवं बर्तन बनने वाले कुम्हारों एवं माटी शिल्पकारों के लिये मिट्टी उत्खनन क्षेत्र जिला कलेक्टर निश्चित करेंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किये हैं। इससे अब ये व्यक्ति हर कहीं मिट्टी का उत्खनन नहीं कर पायेंगे।


निर्देशों में बताया गया है कि अनुवांशिक कुम्हार, अनुसूचित जाति / जनजाति के सदस्य या ऐसे कुम्हारों या अनुसूचित जाति / जनजाति के सदस्यों की सहकारी समिति द्वारा परम्परागत साधनों से कवेलू, बर्तन या ईंट निर्माण के लिए (यांत्रिक साधनों को छोड़कर) मिट्टी के उत्खनन पर गौण खनिज नियम लागू नहीं होते है। इस हेतु मिट्टी का उत्खनन उस क्षेत्र से किया जा सकेगा जिसे संबंधित ग्राम सभा चिन्हित करे। 

गौण खनिज नियम, 1996 में यह भी प्रावधानित है कि मिट्टी का उत्खनन, राष्ट्रीय / राज्य राजमार्ग, रेल लाईन, सार्वजनिक भवन, शमशान भूमि, नदी के किनारों, बांध, नहर, जलाशय, प्राकृतिक जलमार्ग अथवा जल रोकने वाली किसी संरचना से 100 मीटर, अन्य पक्की सड़क या नालों से 50 मीटर या ग्रामीण कच्चे रास्ते से 10 मीटर की दूरी के भीतर प्रतिबंधित रहेगा। निर्देश में कहा गया है कि मिट्टी उत्खनन सुविधा का लाभ माटी शिल्पकारों, कुम्हारों या अनुसूचित जाति / जनजाति के सदस्यों को मिल सके, इस हेतु समस्त कलेक्टर अपने जिले की सभी ग्राम पंचायत क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति से मिट्टी उत्खनन हेतु क्षेत्र चिन्हित कराये तथा चिन्हित किये गये क्षेत्र का विवरण खसरा, पांचशाला के कॉलम क्रमांक 12 एवं निस्तार पत्रक में भी दर्ज कराने की कार्यवाही की जाये। 


उपरोक्त चिन्हित क्षेत्रों के अलावा किसी अन्य नवीन क्षेत्र पर मिट्टी के उत्खनन हेतु आवश्यकता होने पर उक्त क्षेत्र बाबत् संबधित ग्राम सभा का अनुमोदन प्राप्त करने के उपरांत कलेक्टर की अनुमति से उत्खनन किये जाने की व्यवस्था की जा सकेगी। निर्देश में यह भी कहा गया है कि ईंट, कवेलू का परिवहन किये जाने हेतु आवश्यक होने पर अभिवहन पारपत्र (ई-टीपी) जारी किये जाने की व्यवस्था खनिज संचालनालय द्वारा पोर्टल पर की जावेगी।

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