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फटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट केस में उपसंचालक औद्योगिक सुरक्षा सस्पेंड, निरीक्षक बरवा के खिलाफ चार्जशीट

फटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट केस में उपसंचालक औद्योगिक सुरक्षा सस्पेंड, निरीक्षक बरवा के खिलाफ चार्जशीट


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। मध्य प्रदेश के हरदा में हुए पटाखा फैक्ट्री धमाका मामले में बड़ा एक्शन लिया गया है। सस्पेंड निरीक्षक नवीन कुमार बरवा के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी गई है। नवीन कुमार बरवा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई थी, जिसकी चार्जशीट अब जांच कमेटी ने विभाग को सौंपी है। बता दें कि सरकार ने फैक्ट्री में हुए धमाके के बाद कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा को निलंबित कर दिया था। इतना ही नहीं औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रभारी संचालक और उपसंचालक भोपाल एपी सिंह को भी निलंबित किया गया है।

पसंचालक भोपाल एपी सिंह को अपनी जिम्मेदारी में उदासीनता और लापरवाही के कारण निलंबित किया गया है। इससे पहले हरदा हादसे की जांच रिपोर्ट श्रम मंत्री वापस लौट चुके हैं। बता दें कि हरदा पटाखा फैक्ट्री को 2015 में निरीक्षण के दौरान अवैध होने का न्यायिक मजिस्ट्रेट हरदा के समक्ष केस लगाया गया था। फिर समन के बाद भी पेशी पर ही नहीं जाने वाले कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा को राज्य शासन ने फरवरी 2024 में फैक्ट्री में हुए धमाके के बाद निलंबित कर दिया था।

शुरू की गई थी विभागीय जांच - हरदा ब्लास्ट मामले में उप संचालक भोपाल एपी सिंह को भी अपनी जिम्मेदारी में उदासीनता और लापरवाही बरतने के कारण निलंबित कर दिया गया है। बरवा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी। इसकी चार्जशीट जांच कमेटी ने विभाग को सौंप दी है।हरदा जिले में 6 फरवरी को हुए पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट को लेकर श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने लौटा दी है। हादसे के बाद श्रम विभाग ने मजदूरों को लेकर जांच कराई थी। मंगलवार (12 मार्च) को श्रम और पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल भोपाल में प्रदेश में 9 साल बाद बढ़ाई गई मजदूरी दरों की जानकारी दे रहे थे।

जांच रिपोर्ट विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल ने लौटा दी: हरदा हादसे पर उन्होंने कहा- मैं अपने विभाग की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हूं, इसलिए कल (सोमवार) उसे स्वीकार नहीं किया है। मैंने मजदूरों की आइडेंटिटी को लेकर अपने विभाग से सवाल किए हैं। पूछा है कि यदि 2015 में उसी जगह पर हादसा हुआ था तो उस फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की संख्या का एनरोलमेंट क्यों नहीं था? अभी जो पीड़ित हैं, उसमें पब्लिक की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।मजदूरों की संख्या तो 32 ही है। जब सूची ही नहीं हैं तो वेरिफिकेशन किस आधार पर हो रहा है? आप किसी घायल से पूछकर उसे मजदूर बता रहे हैं। उसकी बहस में नहीं पड़ रहा। लेकिन अगर आपके पास किसी इंडस्ट्री में काम करने वालों की सूची नहीं हैं तो न्याय करने का आधार क्या होगा? इसलिए मैं खुद प्रथम दृष्ट्या मैने रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है।

प्रह्लाद पटेल ने बताया कि मैंने कहा है कि यदि कोई पेपर वहां (हरदा) के कलेक्टर या हमारे विभाग के पास हो तो दिखाएं। 2015 में ठीक इसी तरह की घटना हो चुकी है। उसके बाद भी सूची अगर उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में हमें अपने मैकेनिज्म पर विचार करना पड़ेगा कि क्या तरीका अपनाएं। इसके मैने निर्देश जारी किए हैं।

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