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कोरोना के बाद अब म्यूकरमाइकोसिस फंगस कमजोर इम्युनिटी वालो के लिये बना खतरा

कोरोना के बाद अब म्यूकरमाइकोसिस फंगस कमजोर इम्युनिटी वालो के लिये बना खतरा

ब्लैक फंगस संक्रमण की मुख्य वजह स्टेराइडस का बहुत ज्यादा इस्तेमाल - डाॅ. सतीजा 

(लोकमत चक्र डॉट कॉम)

हरदा : आज कारोना संक्रमण एवं ब्लैक फंगस पर कलेक्टर कार्यालय हरदा के सभाकक्ष में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें म्यूकरमाइकोसिस फंगस (ब्लैक फंगस) संक्रमण को देखते हुये कलेक्टर श्री संजय गुप्ता ने डाॅ. राजेश सतीजा (नाक कान गला रोग विषेषज्ञ ) को जिला नोडल अधिकारी नियुक्त किया । 

डाॅ. सतीजा ने बताया कि कोरोना के बाद अब म्यूकरमाइकोसिस फंगस कमजोर इम्युनिटी वालो के लिये खतरा बना हुआ है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस फंगस का इन्फेक्शन देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में जिला अस्पताल में उक्त संक्रमण के 06 मरीज देखने को मिले यह बहुत रेयर इन्फेक्शन है, लेकिन अभी इसके मामले पहले की तुलना में बढ रहे है।

ब्लैक फंगस संक्रमण की मुख्य वजह स्टेराइडस का बहुत ज्यादा इस्तेमाल है। यह संक्रमण अनियंत्रित डायबिटीज, गुर्दा एवं सांस संबंधी बीमारियों का इलाज करा रहे मरीज, कैंसर रोगी, अन्य अंग प्रत्यारोपण के रोगियों में पाया जा रहा है। यह संक्रमण न केवल नाक, आंख, मुॅह, में हो सकता है बल्कि यदि सावधानी न बरती जाए तो यह दिमाग फेफडो एवं आतों को भी संक्रमित कर सकता है, और जानलेवा हो सकता है। 

★ ब्लैक फंगस संक्रमण की शुरूवाती लक्षण

अगर आपको नाक में दिक्कत महसूस हो रही हो या नाक बंद हो रही हो, नाक से काले रंग का डिस्चार्ज हो रहा हो, नाक के आस-पास गालो की हड्यिों में दर्द होना, लगातार सिर दर्द होना, चेहरे में दर्द, सुन्नपन एवं सूजन आना, दांतो मे दर्द और दातों का जबढे से हिलना, जबढे में दर्द होना, आंखो में दर्द के साथ धुधंला दिखाई देना, बुखार आना एवं शरीर नील पडना, पलके सूजने लगी हो, सीने में दर्द, सांस लेने मेे दर्द होना, फेफडों में पानी भरना, खून की उल्टी होना तथा मुँह से बदबू आना यदि ऐसे कोई भी लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखें तो वह व्यक्ति तत्काल जिला चिकित्सालय में आकर चिकित्सकीय परामर्श ले।

 ★  ब्लैक फंगस संक्रमण से बचने के उपाय एवं सावधानी -

बिना डाक्टरी सलाह के स्टेराइड लेना खतरनाक हो सकता है, स्टेराइड चिकित्सकीय परामर्श अनुसार बिल्कुल उचित मात्रा में ले एवं कम से कम समय तक लें, ऑक्सीजन के रोगी उपयोग के दौरान आक्सीजन के फ्लोमीटर में आर.ओ. का पानी या डिस्टिल वाटर का उपयोग करे एवं नियमित रूप से पानी को बदलते रहे। मरीज के लिये उपयोग होने वाला ऑक्सीजन मास्क, कैनुला आदि को नियमित रूप से सेनेटाइज करे और जरूरत अनुसार बदलते रहे। अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजो के संक्रमण के नियंत्रण के लिये तय प्राटोकाल का पालन करे। कोरोना से संक्रमित मरीज या कोरोना से ठीक हो चुका मरीज तथा कोरोना से संदिग्ध मरीज अपने डायबिटीज की प्रतिदिन निगरानी करे एवं डायबिटीज पर उचित नियंत्रण रखे तथा समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेते रहे। 

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