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विश्व पर्यावरण दिवस पर वृहद स्तर पर होगा वृक्षारोपण

विश्व पर्यावरण दिवस पर वृहद स्तर पर होगा वृक्षारोपण, ढाई लाख पौधों का रोपण नदी के किनारों की बेेेेकार भूमि पर किया जाएगा

मुख्यमंत्री के द्वारा कल 11•30 बजे वर्चुअल  मीटिंग के माध्यम से होगा शुभारंभ, शाम पांच बजे ग्राम से होगी शुरूआत 


लोकमतचक्र.कॉम।

मसनगांव - विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदेश सरकार द्वारा वृहद स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 11:30 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी इसके पश्चात शाम 5:00 बजे ग्राम में वृक्षारोपण कार्यक्रम की शुरुआत होगी ।

सुभाष मंच के संयोजक एवं पर्यावरणविद् गौरीशंकर मुकाती ने बताया कि इस वर्ष भी सुभाष मंच द्वारा ढाई लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जो प्रेरकों के माध्यम से ग्रामीण क्षैत्रो मे नदी नालो के किनारो पर लगाये जायेंगे। जिसकी शुरुआत मसनगांव से होगी यहां पर क्षेत्रीय विधायक एवं कृषि कल्याण मंत्री कमल पटेल जिला कलेक्टर संजय गुप्ता पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल जिला पंचायत सीईओ रामकुमार वर्मा डी एफ ओ हरदा एवं अन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित होंगे। 

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत सिराली रोड पर शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल के सामने से पौधे रोप कर की जाएगी। इसके पश्चात शाम 6:00 बजे कमताड़ी में  नाले के किनारों पर वृक्षारोपण किया जाएगा। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के बाद जिस प्रकार पर्यावरण संतुलन विगडा है उसे सुधारने तथा वन्य संपदा को  पुन: स्थापित करने के लिए सुभाष मंच द्वारा विगत कई वर्षों से वृक्षारोपण का कार्यक्रम किया जा रहा है । इस वर्ष भी नदी क्षेत्र एवं नालों के किनारे खेतों की मिट्टी को रोकने के लिए पेड़ लगाकर कटाव को रोका जाएगा। 

श्री मुकाती ने बताया कि नदी घाटी क्षेत्र को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें रायपोरियन झोन का प्रभाव नदी के किनारों की स्थिरता,जल की शुद्धता बनाए रखने, मिट्टी कटाव रोकने, जल पुनर्भरण, जीव जंतुओं हेतु सुक्षम रहवास, जैव विविधता संरक्षण, जल धाराओं की सुरक्षा,तथा जल का सतत प्रवाह बनाए रखने जलीय ताप नियंत्रण बाढ़ के प्रभाव को कम करने, खाद्य जल को बनाए रखने कार्बन अवशोषित करने आदि में वृक्षों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

हरित क्रांति के बाद अधिक उत्पादन के दबाव में आकर किसानों के द्वारा छोटी-बड़ी नदियों के तटों पर वृक्ष आदि क्षेत्र तेजी से घटे हैं परिणाम स्वरुप भारी भूमि कटाव नदियों मे गाद जमा होने के कारण बढ़ाना वर्षा की अनिश्चितता भूमिगत जल स्तर में गिरावट के रूप में पेयजल की कमी वृक्ष आच्छादित क्षेत्र कम होने से स्थानीय परिस्थितिक तंत्र भी अत्यधिक प्रभावित होता है जिसकी मार गांव और किसानों को आर्थिक अनिश्चितता के रूप में झेलनी पड़ रही है। इस दिशा में सुभाष मंच द्वारा ग्रो ट्रीज मुंबई एवं इंटेलेक्चुअल पब्लिक वेलफेयर सोसायटी के सहयोग से विगत कई वर्षों से वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जा रहा है। इसी तरह इस वर्ष भी ढाई लाख पौधों का रोपण नदी के किनारों की बेस्ट लैंड पर किया जाएगा ।

नदी बचाओ समृद्धि लाओ, आंगन धन एवं आम के आम गुठलियों के दाम शीर्षक से वृहद परियोजना अंतर्गत निरंतर इमारती एवं फलदार पौधा रोपण कार्य किया जा रहा है जिसके अपेक्षित परिणाम स्वरूप नदी नालों के किनारे खेतों की मेड़ों पर पौधों के रोपण में समाज की एकता एवं जागरूकता बढ़ी है। इस परियोजना के संरक्षक पर्यावरणविद गौरीशंकर मुकाती ने बताया कि वर्तमान में देश हजारों करोड़ों रुपए की लकड़ी विदेश से आयात करता है। यदि देश के समस्त नदी नालों पर इमारती लकड़ी का उत्पादन किया जाता है तो 15 से 20 वर्षों में लाखों करोड़ों रुपए की संपदा देश मे ही तैयार की जा सकती है । जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा के साथ-साथ पर्यावरण एवं स्थानीय परिस्थितिक तंत्र को भी बचाया जा सकेगा जल संरक्षण के साथ उपजाऊ मिट्टी को भी शरण से बचाया जा सकेगा वही बाढ़ के प्रभाव को नियंत्रित किया जा  सकता है।वही राष्ट्रीय स्तर पर कार्बन अवशोषण भी हो सकता है, जिससे देश के संकल्प को बल मिलेगा।

इस प्रकार वृक्षारोपण के फायदे बताते हुए पर्यावरण को संतुलित बनाने के लिए बहृद स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन करने तथा जिले के साथी  खंडवा एवं होशंगाबाद जिले में भी बड़े स्तर पर पौधारोपण कर पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें क्षेत्र के किसान भाग लेंगे।

👉🏻 मसनगांव से अनिल दीपावरे  की रिपोर्ट✍🏻

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