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कूटरचित ऋण पुस्तिका बनाकर जमीन की रजिस्ट्री के मामले में दो पटवारियों व किसानों को पांच-पांच साल का कारावास

कूटरचित ऋण पुस्तिका बनाकर जमीन की रजिस्ट्री के मामले में दो पटवारियों व किसानों को पांच-पांच साल का कारावास

न्यायालय ने सुनाया फैसला, साथ में 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया


लोकमतचक्र.कॉम।

विदिशा : जिले की शमशाबाद तहसील में कूट रचित ऋण पुस्तिका बनाकर जमीन विक्रय के लिए उपयोग करने के मामले में आरोप सही पाए जाने पर प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 2 पटवारियों सहित 2 किसानों को 5-5 साल की सजा सुनाई और 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। शासकीय लोक अभियोजक नरेंद्र व्यास ने बताया कि 5 अप्रैल 2012 को शमशाबाद तहसीलदार किरण बरबड़े ने फर्जी दस्तावेज बनाकर 2 किसानों की जमीन इंदौर के एक ब्रोकर के माध्यम से बेचने के मामले की शिकायत के बाद जांच की तो पाया गया कि तहसील शमशाबाद के हल्का पटवारी सत्यनारायण सोनी के आधिपत्य की 30 ऋण पुस्तिकाएं जो कि मूल्यवान प्रतिभूति हैं छल करने के प्रयोजन से कूट रचना की और उसमें उल्लेखित कृषि भूमि को फरियादी धर्मेंद्र यादव को क्रय करने के लिए प्रवचना कर करीब 3 लाख रुपए प्रदत्त करने के लिए उत्प्रेरित कर छल किया। साथ ही कूट रचित ऋण पुस्तिकाओं का असली रूप में जानते हुए उपयोग किया।

तहसीलदार ने कराया था मामला दर्ज

तहसीलदार ने इस मामले की जांच कर पुलिस में पटवारी नरेश शर्मा, सत्यनारायण सोनी, कृषक उमराव सिंह यादव, कमलेश यादव के विरुद्ध मामला दर्ज कराया। मामले की जांच करने के बाद पुलिस ने प्रकरण को प्रथम श्रेणी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायाधीश विनोद शर्मा ने मामले की सुनवाई के बाद फर्जी दस्तावेज व भूमि विक्रय मामले में पटवारी नरेश शर्मा, सत्यनारायण सोनी, कृषक उमराव सिंह यादव, कमलेश यादव को दोषी पाते हुए अलग-अलग धाराओं में दोषी पाया। धारा 420 में 3 साल, धारा 467, 468, 120 बी में 5 साल और धारा 471 में एक एक वर्ष की सजा सुनाई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इस तरह चारों आरोपियों को पांच पांच साल की सजा और 50-50 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। न्यायालय ने सजा सुनाने के बाद चारों आरोपियों को जेल भेज दिया। गौरतलब है कुछ वर्षों पहले जिले की तहसीलों में फर्जी दस्तावेज के आधार पर हजारों बीघा जमीन इंदौर के ब्रोकर्स के माध्यम से खरीदने का मामला सामने आया था। दस्तावेजों के आधार पर बैंकों से फर्जी कंपनियों द्वारा ऋण लेने का मामला सुर्खियों में रहा था। यह भी इसी तरह का मामला तत्कालीन तहसीलदार ने खुलासा किया था।

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