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तहसीलदार के साथ नदी में बहे पटवारी का मिला शव, पटवारियों के सूचना तंत्र ने ही खोजा

तहसीलदार के साथ नदी में बहे पटवारी का मिला शव, पटवारियों के सूचना तंत्र ने ही खोजा

प्रशासनिक तंत्र के असहयोग से पटवारियों के मन में क्षोभ, सोशल मीडिया पर व्यक्त किया अपना दर्द


लोकमतचक्र.कॉम।

भोपाल/सीहोर : तहसीलदार के साथ नदी में बहे पटवारी को शव  घटना स्थल से लगभग 3 किलोमीटर आगे पटवारियों ने अपने सूचना तंत्र के माध्यम से खोज लिया है, वही पटवारी की कार लगभग 2 किलोमीटर दूर मिली हैं। तहसीलदार का शव प्राप्त नहीं हुआ है, जिसे खोजा जा रहा है। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी (कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी) संघ के प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर सोमवार रात से पटवारी महेंद्र रजक के साथ लापता थे। उनकी अंतिम लोकेशन सीहोर के पास एक रपटे के पास देखी गई थी। श्री ठाकुर सिहोर के रहने वाले हैं और वर्तमान में शाजापुर जिले में पदस्थ हैं।

घटना की जानकारी लगते पटवारियों ने नदी किनारे के ग्रामों के कोटवारों को सूचना देकर नजर रखने का कहा था और सुबह से ही लगभग 40 - 45 पटवारियों का दल नदी के दोनों किनारों पर अपने साथी की खोज में निकल गया था। आज सुबह जब घटना स्थल कर्बला पुल से लगभग 3 किलोमीटर दूर छापरी खुर्द में नदी पर शौच करने गई एक महिला ने शव देखा तो उसने सूचना कोटवार को दि। कोटवार ने पटवारी को सूचित किया। पटवारी की कार भि मिल गई है। तहसीलदार का शव अभी प्राप्त नहीं हुआ हैजिसे खोजा जा रहा है।

पटवारियों के मन में भारी असंतोष, सोशल मिडिया की व्यक्त किया अपना दर्द, पटवारी संघ के ग्रुप पर पटवारियों ने यह बोला

पुलिस की भूमिका अत्यंत ही असंवेदनशील थी। जिसको लेकर पटवारियों का मन में भारी असंतोष है। पटवारियों द्वारा रात लगभग 10:00 बजे अधीक्षक को अपनी व्यथा बताई। उसके पहले पटवारी साथियों ने नदी के किनारे लगभग दो किलोमीटर तक उन्हें ढूंढा उसमें उन्हें i20 का मात्र इंजन कवर मिला । सारे अधिकारी 5:00 बजे के बाद आए। पुलिस का भी सुस्त रवैया था । पटवारियों के दबाव डालने पर पुलिस मौके पर लगभग 6:30 बजे पहुंची, कोई भी एनडीआरएफ या एसडीआरएफ की टीम 6.30 बजे तक मौके पर नहीं पहुंची थी। एक नाव से खानापूर्ति की गई जिसमें डीजल नहीं था, डीजल डलवाने के बाद नाव 07 बजे के बाद चालू हुई आसपास किनारे के पास घुमाने के पश्चात अंधेरा होने का बहाना लेकर सुबह सर्च अभियान शुरू करने को कहां गया और खाना पूर्ति का दौर समाप्त हुआ । पटवारियों का कहना था यहीं पर यदि किसी कर्मचारी के स्थान पर कोई आम नागरिक लगा होता तो सारे तहसीलदार और पटवारी मिलकर उसे सारे संसाधन की सहायता से ढूंढते परंतु पटवारी साथियों ने हार ना मानते हुए भी बिना साधन संसाधन प्रयास किया मौके पर लगभग जिले के 50 पटवारी मौजूद रहे । 

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