Breaking News

पेसा एक्ट : थाने में हुई FIR तो पहले ग्राम सभा को देना होगी सूचना, सीधे गिरफ्तारी नहीं

पेसा एक्ट : थाने में हुई FIR तो पहले ग्राम सभा को देना होगी सूचना, सीधे गिरफ्तारी नहीं

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल । प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिन ग्रामों में पेसा एक्ट लागू हो गया है उस क्षेत्र के थाने में किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होने पर पुलिस संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध गिरफ्तारी या जांच संबंधी कार्यवाही सीधे नहीं कर सकेगी। इसके लिए एफआईआर होने के बाद पुलिस को पहले इसकी जानकारी वहां की ग्राम सभा द्वारा बनाई गई शांति और विवाद निवारण समिति को देना होगा। इसके लिए आदिवासी ग्रामों में शांति और विवाद के निपटारे के लिए ग्राम सभा द्वारा एक समिति का गठन करने का प्रावधान किया गया है। सभा की ओर से समिति गठन की जानकारी पुलिस को दी जाएगी। इस समिति के फैसले पर अपील ग्राम सभा में की जा सकेगी। ग्राम सभा की सिफारिशों पर अमल कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी। 

साहूकार को बताना होगी चुकाए गए ऋण की जानकारी

राष्ट्रपति एक्ट में प्रावधान किया गया है कि प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में वनों के संरक्षण की जिम्मेदारी अब ग्राम सभा की होगी। ग्राम सभा ग्रामीणों के हित में स्थानीय रोजगार और वन संरक्षण के लिए काम करेगी। इन क्षेत्रों में साहूकारी करने वाले व्यक्ति द्वारा अपना लाइसेंस ग्राम सभा को बताना होगा। साथ ही जो ऋण चुकाया गया है, उसकी जानकारी एसडीएम को हर तीन माह में देना होगी। अगर साहूकार के विरुद्ध शिकायत है तो ग्राम सभा जांच कर एसडीएम को कार्यवाही के लिए कहेगी। 

स्कूल, छात्रावास, आंगनबाड़ी निरीक्षण का अधिकार

ग्राम सभा स्कूलों, छात्रावासों, आंगनवाड़ी के निरीक्षण का अधिकार रखेगी। इसके लिए तदर्थ समिति बनाकर काम किया जा सकेगा। इसका सदस्य पंच होगा। इस समिति में पालक शिक्षक संघ के दो सदस्य जरूरी हैं और एक महिला होना जरूरी होगा। ग्राम सभा हितग्राही चयन और प्राथमिकता तय करने का काम भी करेगी। आंगनबाड़ी केंद्र के लिए सहयोगिनी मातृ समिति का गठन किया जाएगा और इसमें 50 प्रतिशत सदस्य आदिवासी होंगे। महिला इसकी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होगी। 

चर्चा बगैर एसडीएम नहीं कर सकेंगे डायवर्सन, भूमि अर्जन

इन क्षेत्रों में भूमि अर्जन, डायवर्सन करने के पूर्व एसडीएम को जनसुनवाई करना होगी और ग्रामसभा के साथ परामर्श के बाद निर्णय लिए जा सकेंगे। ग्राम सभा पटवारी को भूमि अभिलेख में सुधार के लिए अनुशंसा करेगी। ग्राम सभा को यह अधिकार भी होंगे कि आदिवासी की भूमि का उपयोग सरकारी काम या अन्य कामों में गैर आदिवासी को न किया जा सके। इतना ही नहीं ऐसे क्षेत्रों में अब आदिवासियों की जमीन पर किसी दीगर जाति के व्यक्ति द्वारा किए गए कब्जे के मामले में ग्राम सभा एक्शन ले सकेगी। ग्राम सभा ऐसा मामला सामने आने पर भूमि का कब्जा उसे वापस दिलाएगी जिसकी जमीन मूल रूप से थी और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो उपखंड अधिकारी के पास केस भेजेगी और इसे तीन माह के भीतर निराकृत करते हुए मूल आदिवासी को जमीन का कब्जा दिलाना होगा। 

89 विकासखंडों में लागू हुआ एक्ट

राज्य सरकार द्वारा मंगलवार से लागू किए जा रहे पेसा एक्ट में इसका प्रावधान किया गया है। यह कानून प्रदेश के 313 विकासखंडों में से 89 आदिवासी विकासखंडों में लागू हो गया है। इसमें कहा गया है कि ग्राम सभा के सीमा क्षेत्र में आने वाले सभी जल स्त्रोत ग्राम सभा के अधिकार क्षेत्र में आएंगे और एक्ट में किए गए प्रावधान के मुताबिक सिंचाई, मछलीपालन, पेयजल आवंटन व निस्तार की प्राथमिकता के आधार पर ग्राम सभा काम करेगी।

जलस्त्रोतों पर होगा अधिकार

 इसमें कहा गया है कि 40 हेक्टेयर तक की सिंचाई क्षमता के प्रबंधन का अधिकार पंचायत को होगा। सिंचाई प्रबंधन में विवाद होने पर ग्राम सभा में शांति व न्याय समिति के समक्ष रखा जाएगा। यहां से समाधान नहीं हुआ तो प्रकरण कलेक्टर को भेजा जाएगा। ग्राम सभा मछली शिकार, उपयोग और विक्रय का निर्णय ले सकेगी। इसके साथ ही जलाशयों में प्रदूषण रोकने के लिए फैसले करने का अधिकार भी ग्राम सभा को होगा। 

वनोपज और खनन के भी अधिकार दिए

ग्रामसभा के क्षेत्र में आने वाली खदानों में खनन के लिए ग्राम सभा की अनुशंसा अनिवार्य की गई है। यह काम खनन पट्टा लेने के पूर्व करना होगा। नीलामी के पहले भी अनुशंसा देने के अधिकार ग्राम सभा को दिए गए हैं। इसमें यह प्रावधान भी किया गया है कि इस काम के लिए अजजा सहकारी सोसायटियों, सहयोजन, आदिवासी महिला या पुरुष आवेदक को इस काम के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। वन क्षेत्र में वनोपजों को लेकर ग्राम सभा वन संसाधन योजना और नियंत्रण समिति बनाएगी। यह समिति एक माइक्रो मैनेजमेंट प्लान तैयार करेगी और इसके माध्यम से गौण वनोपज का समुचित दोहन तथा जैव विविधता व जैविक स्त्रोतों का संवर्द्धन किया जाएगा। इसमें यह ध्यान रखा जाएगा कि वनोपज संग्रहण का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर या भूमिहीन परिवार को मिले लेकिन इसमें सामूहिक नुकसान की स्थिति नहीं बननी चाहिए। इसके लिए ग्राम सभा किसी समिति या शासन की एजेंसी के माध्यम से गौण वनोपजों का संग्रहण व विक्रय करेगी। तेंदूपत्ता संग्रहण व विपणन का अधिकारी राज्य लघु वनोपज संघ के जरिये होगा लेकिन ग्राम सभा चाहे तो इसके लिए प्रस्ताव पारित कर वन विभाग को 15 दिसम्बर के पहले अवगत करा दे। 

शराब या नशे की बिक्री पर निषेधाज्ञा का अधिकार

ग्राम सभा चाहे तो अपने क्षेत्र में शराब और अन्य मादक पदार्थों की बिक्री के लिए निषेधाज्ञा जारी कर सकेगी और इसका उल्लंघन करने वालों पर एक हजार रुपए तक की पेनाल्टी लगा सकेगी। ऐसे क्षेत्रों में देसी-विदेशी शराब की नई दुकान खोलने की अनुमति भी ग्रामसभा ही देगी। अगर कोई शराब या भांग की दुकान का स्थान परिवर्तित करना है तो इसका अधिकार भी इन्हें ही होगा। इतना ही नहीं अगर कोई त्यौहार है तो आंशिक अवधि के लिए इन दुकानों को बंद कराने की अनुशंसा कलेक्टर को की जा सकेगी। किसी भी व्यक्ति के घर में कितनी शराब या अन्य मादक वस्तुएं रखी जाएंगी, इसकी लिमिट तय करने का अधिकार भी इन्हें ही होगा। 

ग्राम सभा को दिए अधिकार में कहा गया है कि रोजगार देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे और जिन कामों में मस्टर रोल का उपयोग होता है उसके शुरू होने के पहले ग्राम सभा अध्यक्ष को जानकारी दी जाएगी। जो लोग गांव से बाहर काम करने गए हैं, वे क्या काम बाहर करते हैं और क्यों गए हैं? इसकी जानकारी भी रखी जाएगी। 

कोई टिप्पणी नहीं