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सैटेलाइट सर्वे में बड़ा खुलासा : 14 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए किया फर्जीवाड़ा

सैटेलाइट सर्वे में बड़ा खुलासा : 14 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए किया फर्जीवाड़ा

नदी-नाले को खेत बताया; धान की फसल बताई और लगा दी कुछ और

लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल । मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में समर्थन मूल्य हासिल करने के लिए 14 हजार किसानों ने व्यापारियों से साठगांठ कर यह गड़बड़ी की है। सरकार के सैटेलाइट सर्वे से इसका खुलासा हुआ है। दूसरे राज्यों से फसल खरीदकर मप्र में बेचने पर इन किसानों को अनुमानित 1800 करोड़ का लाभ होता क्योंकि यहां किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर फसल खरीदती है।

सबसे ज्यादा गड़बड़ी धान में की गई है, क्योंकि इस बार धान का समर्थन मूल्य पिछली बार से 100 रुपए ज्यादा (इस बार का मूल्य 2040 रुपए प्रति क्विंटल) है। सरकार के पास सबसे ज्यादा गड़बड़ी की शिकायतें जबलपुर जिले से आई थी, इसलिए वहां सैटेलाइट सर्वे कराया गया। इसमें 3097 किसानों के सर्वे नंबर ऐसे हैं, जिन्होंने मकान, नदी, नाले, पहाड़ को खेत होना बताया था। जबकि 11800 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने धान की जगह दूसरी फसल बोना दिखाया था। खाद्य विभाग के अफसरों ने बताया कि जिस रकबे में धान की बुवाइ गड़बड़ी मिली है। 

फसलों की खरीदी... अब फसलों की खरीदी से पहले सत्यापन होगा, आधार नंबर का खसरे से मिलान करेंगे

खाद्य विभाग के अफसरों ने जबलपुर में फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद उन खसरा नंबरों में दर्ज किसानों की फसल को बेचने पर अभी रोक लगा दी है। उन्होंने कलेक्टर से पूरे 14 हजार किसानों की जांच के बाद ही धान की खरीदी का निर्देश देने का आग्रह किया है। उन्होंने एसडीएम और तहसीलदार से एमपी किसान एप पर हुए पंजीयन से पड़ताल कराने की बात कही है। इसमें दो हेक्टेयर से अधिक और सिकमी (बटाईदार) किसानों को शामिल किया गया है। सूत्रों का कहना है कि अब सभी फसलों की खरीदी से पहले सत्यापन होगा। आधार नंबर का खसरे से मिलान होगा।

किसान से पूछा- कौन सी फसल बोई, जवाब मिला- याद नहीं

जबलपुर की तहसील आधार ताल के गांव रैगंव निवासी सवाई सिंघ यश की करीब 4 एकड जमीन है। संवाददाता ने किसान से पूछा कि आपने कौन सी फसल बोई है। इस पर किसान का जवाब था कि उनको ठीक से याद नहीं है। रही बात सरकार के सर्वे की तो इसकी जानकारी उनको नहीं है। लेकिन उनका दावा है जिस सर्वो पर पहाड़ या आबादी होने की बात कही जा रही है, अफसर चाहे तो उसकी जांच कर सकते हैं।

हमने तो धान बोई थी, फसल कैसे बदली, हमें नहीं मालूम

जबलपुर की तहसील कुंडम के गांव भजिया में रहने वाली वल्लो बाई से पूछा गया कि सैटेलाइट सर्वे में आपकी जमीन पर धान की जगह दूसरी फसल बोना आया है। इस पर बल्लो बाई ने कहा कि हमने तो धान बोई थी। उसके बाद अब गेहूं बोया है। गड़बड़ी का सवाल ही पैदा नहीं होता है। जो फसल बोई थी, वो बदल कैसे सकती है। ये समझ से परे है।



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