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भगवान तो अपने से शत्रु भाव रखने वाले को भी तार देते हैं : स्वामी सच्चिदानंद आचार्य

भगवान तो अपने से शत्रु भाव रखने वाले को भी तार देते हैं : स्वामी सच्चिदानंद आचार्य 

पूर्व अध्यक्ष कालीराणा ने अन्नक्षेत्र के लिए दी एक लाख की राशि 


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

हरदा। जिले के कायागांव में गीला (विश्नोई) परिवार के तत्वावधान में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन जारी है। कथा के चौथे दिन बुधवार को प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने कहा कथा सुनाते हुए कहा कि राजा परीक्षित हजारों श्रोताओं के साथ में श्रीशुकदेवजी के मुख की ओर निहार रहे हैं। श्रीशुकदेवीजी बड़े आदर से सभी जिज्ञासों को सुनकर उनका समाधान करते हैं। राजा परीक्षित कहते हैं कि प्रभु भगवान की दृष्टि से भी कभी भेदभाव हो जाता है क्या। भगवान कभी किसी को मारने हैं तो किसी को तारते हैं। क्या भगवान भी भेदभाव करते हैं। यह सुनकर शुकदेवजी कहते हैं कि राजन भगवान के हाथों मरना थी श्रेष्ठ है और तरना भी। भगवान तो अपने से शत्रु भाव रखने वाले को भी तार देते हैं।

शिशुपाल की कथा बताते हुए शुकदेवीजी ने कहा कि शिशुपाल को कौन नहीं जानता। भरी सभा में जब शिशुपाल भगवान को गालियां दे रहा था। यह देख अर्जुन और पांडवों से देखा नहीं गया कि हमारे कन्हैया को कोई गाली दे दे तो हम उसको जीवित न रहने दें, लेकिन ये गाली दे रहा है। तो भगवान इशारा कर देते हैं कि कोई बात नहीं देने दो। भगवान ने वचन दिया था कि सौ गाली तक वह कुछ नहीं करेंगे। शिशुपाल गालियां देते देते एक सौ एक गालियां देता है। तभी भगवान अपने सुदर्शन चक्र को आदेश देकर शिशुपाल का वध कर देते हैं। शिशुपाल के शरीर से ज्योति निकली और श्रीकृष्ण के स्परूप में प्रवेश कर गई। शुकदेवजी कहते हैं कि देखो राजन श्रीकृष्ण की कृपा कि गाली देने वाले को भी अपने भीतर मिला लिया।

शुकदेवजी कहते हैं कि राजन दो प्रकार के वंश चले हैं चंद्रवंश और सूर्य वंश। ऐसे तो भगवान को चौबीस अवतार हुए हैं। जिनमें आठ अवतार कर्मयोग के लिए हैं। आठ भक्ति योग के लिए हैं आठ सांख्य योग के लिए हैं। चौबीसों में जो मुख्य अवतार हुए हैं वो दो अवतार हुए हैं। जिनका सीधा संबंध रामजी और कृष्णजी से है। रामजी का मर्यादा की स्थापना के लिए और श्रीकृष्ण ने जीवन को और सरस, सरल बनाने के लिए उनका प्राकट्य हुआ है। प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने विभिन्न भजनों के माध्यम से कथा का वर्णन किया। नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की सहित अन्य भजनों के साथ भगवान का प्राकट्य उत्सव मनाया गया। पंडाल में लोग नाचने झूमने लगे। छोटे बच्चे को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में श्रृंगारित किया गया। 

अन्नक्षेत्र के लिए दी एक लाख की राशि :

कथा का वाचन करते हुए स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने कहा कि गुरु महाराज जम्भेश्वर ने चाैबीस भंडारों का संचालन किया था। नेमावर मंदिर व विश्नोई आश्रम में पिछले साल से नर्मदा परिक्रमावासियों के लिए श्रीजम्भेश्वर अन्नक्षेत्र की शुरुआत की गई थी। आज वहां रोज सैकड़ों परिक्रमावासियों को अन्न प्राप्त होता है। यह सेवा विश्नोई समाज के ओर चल रही है। इसलिए समाज के सभी लोग बधाई के पात्र हैं। श्रीभगवान प्रकाश महाराज ने सबसे पहले नेमावर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर गुरु महाराज की धर्म ध्वजा फहराई थी। इसके बाद आज सभी के सहयोग से श्रीगुरु जम्भेश्वर महाराज का भव्य मंदिर और विश्नोई आश्रम बना हुआ है। यह अन्न सेवा पूरे साल चले इसके लिए समाज के लोग राशि दान करें। इस मौके पर मध्य क्षेत्र विश्नोई समाज के पूर्व अध्यक्ष डोमनमऊ निवासी बद्रीप्रसाद कालीराणा ने अन्नक्षेत्र के लिए एक लाख एक हजार रुपए की नकद राशि भेंट की। उनका मंच से संतों ने सम्मान किया। 


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