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शिवराज के कई मंत्रियों की सीट पर है संशय, 2018 के चुनाव में भी हारे थे कई दिग्गज चेहरे

शिवराज के कई मंत्रियों की सीट पर है संशय, 2018 के चुनाव में भी हारे थे कई दिग्गज चेहरे


लोकमतचक्र डॉट कॉम। 

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। वोटिंग के बाद सभी प्रत्याशी हार-जीत को लेकर गुना-भाग में जुटे हैं। इस आधार पर प्रत्याशियों को जीत हार का अनुमान हो जाता है। साथ ही इन पर चर्चाएं भी शुरू हो जाती हैं। इसी तरह से शिवराज सरकार के कई कद्दावर मंत्रियों की सीट पर संशय की स्थिति है। इन मंत्रियों की सीट पर तगड़ी टक्कर मिली है। तगड़ी फाइट वाली सूची में सिंधिया समर्थक भी कई मंत्रियों के नाम हैं, जिनकी सीट फंस सकती है। सबसे ज्यादा निगाहें शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्रियों पर हैं, जिन्हें पार्टी ने फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। कई लोगों को लेकर संभावना जताई जा रही है कि वह चुनाव हार सकते हैं। पार्टी के इंटरनल सर्वे में भी सभी सीटों का हिसाब आ गया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार के वैसे मंत्री चुनाव हार गए थे जो दो-तीन दशक से अपने क्षेत्र में अजेय थे। ऐसे में पार्टी और उम्मीदवार चौंकने हो गए हैं। हालांकि रिजल्ट से पहले स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अनुमान ही लगाया जाता है कि कौन जीत रहा और कौन हार रहा है। स्थानीय स्तर से आए फीडबैक के आधार पर कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव और डबरा में इमरती देवी को कड़ी टक्कर मिली है। इसका असर रिजल्ट पर देखने को मिलेगा। चुनाव प्रचार के दौरान भी इन चेहरों को कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ा था।

इनको मिली है कड़ी टक्कर

वोटिंग के बाद से ही कहा जा रहा है कि महू से संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर की स्थिति भी ठीक नहीं है। निर्दलीय अंतर सिंह दरबार ने वहां समीकरण बिगाड़ दिया है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव को भी उज्जैन में संघर्ष करना पड़ा है। ऐसे में नतीजे वहां भी चौंकाने वाले हो सकते हैं।

यहां से निगेटिव फीडबैक

इसी तरह से प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल भी हरदा में संघर्ष करते नजर आए हैं। उनका एक वीडियो भी सामने आया है। मंत्री रामकिशोर कावरे, रामखेलावन पटेल, इंदर सिंह परमार समेत कुछ अन्य मंत्रियों को अपने क्षेत्र में एंटी इंकम्वेंसी का सामना करना पड़ा है। चुनाव के दौरान भी इन जगहों से निगेटिव फीडबैक आते रहे हैं। कहा जा रहा है कि इन जगहों के परिणाम हतप्रभ करने वाले होंगे।

बिसेन की भी ऐसी ही स्थिति

बालाघाट से विधायक और शिवराज सरकार में मंत्री गौरीशंकर बिसेन को भी कड़ी चुनौती मिली है। पहले पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। उनकी जगह पर बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया था। स्थानीय परिस्थितियों को भांपते हुए गौरीशंकर बिसेन की बेटी साइड हो गई। इसके बाद गौरीशंकब बिसेन ने खुद ही पर्चा भर दिया है। कांग्रेस उम्मीदवार अनुभा मुंजारे के साथ उनकी क्लोज फाइट है।

नरोत्तम की सीट पर कड़ा संघर्ष

इस बार के चुनाव में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी अपने ही क्षेत्र में घिरे रहे हैं। उन्हें कांग्रेस से इस बार कड़ी टक्कर मिली है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महा सचिव प्रियंका गांधी ने भी नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र दतिया में जाकर चुनावी रैली की थी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने दतिया में मुकाबला रोचक बना दिया है।

2018 में हार गए थे बड़े चेहरे

वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार में शामिल कई धाकड़ चेहरे चुनाव हार गए थे। इनमें प्रमुख नाम तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया का था। इसके साथ ही अंतर सिंह आर्य, जयभान सिंह पवैया, शरद जैन, अर्चना चिटनिस, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, ओमप्रकाश धुर्वे, उमाशंकर गुप्ता, ललिता यादव, नारायण सिंह कुशवाहा और बालकृष्ण पाटीदार थे। इनकी हार के कारण बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी।

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