मध्यप्रदेश में किसान कानूनों को पूर्ण समर्थन, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की घोषणा
मध्यप्रदेश में किसान कानूनों को पूर्ण समर्थन, मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की घोषणा
1 अप्रैल 2021 से किसानों को मिलेगी एस.एम.एस. से सूचना, मध्य प्रदेश में किसानों के हित में होगा आयटी का भरपूर प्रयोग
भोपाल : मप्र में नए किसान कानूनों को पूर्ण समर्थन दिया जाएगा।ये कानून किसान हित में हैं।इनका किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलेगा।संबल योजना फिर से पूर्णतः लागू होगी।लोगों की जिंदगी बदलने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सभी वर्गों को लाभान्वित करने का कार्य हो रहा है। कोरोना काल में जहां विद्यार्थियों, श्रमिकों, जनजाति वर्ग के लोगों को विभिन्न योजनाओं की राशि उनके खाते में अंतरित की गई, वहीं मध्यप्रदेश सरकार आयटी के माध्यम से प्रदेश के करीब एक करोड़ किसानों से संबंधित समस्याओं के निराकरण का कार्य भी कर रही है। इसके लिए विभिन्न एप्लीकेशन्स का उपयोग किया जाएगा। आय टी के वर्तमान उपयोग में बढ़ावा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बाबई में इन सेवाओं की को प्रारंभ करने की घोषणा की।उन्होंने आयटी के प्रयोग से अच्छे परिणाम लाने की अपेक्षा की है।
प्रदेश में फसल क्षति के कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए (SAARA App) से फसल हानि के सर्वे की शुरुआत की गई है। इसके माध्यम से फसल की जानकारी पहले से दर्ज होती है। जिसे किसानों द्वारा भी देखा जा सकता है। इसी तरह नामांतरण की सूचना एसएमएस द्वारा मूल भूमि स्वामी को प्रदान करने की व्यवस्था की जा रही है। इससे जब भी भूमि के खसरे में नाम परिवर्तन होता है तो इसकी सूचना तत्काल एसएमएस द्वारा मूल भूमि स्वामी को दी जाएगी। ये सुविधा 01 अप्रैल 2021 से प्रदेश में लागू कर दी जाएगी।
किसान खुद करेंगे फसल गिरदावरी दर्ज
किसान एप्प में अब यह भी सुविधा दी गई है कि किसान स्वयं अपनी फसल की जानकारी दर्ज कर सकता है। इस कार्य के लिए किसानों को किसी भी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होगी, किसान पटवारियों और गिरदावर के चक्कर लगाने से बच जाएगा। पटवारियों द्वारा यह जानकारी सत्यापित की जाएगी। सत्यापन के बाद फसल की जानकारी खसरे में दर्ज हो जाएगी।
डायवर्सन व्यवस्था होगी खत्म
प्रदेश में डायवर्सन व्यवस्था समाप्त कर पुननिर्धारण की सुविधा भी प्रदान की गई है। पहले डायवर्सन कराने के लिए कई विभागों के चक्कर लगाने होते थे। नागरिकों को सीधे पोर्टल पर जाकर जमीन का पुनर्निर्धारण शुल्क जमा करने के बाद जमीन का उपयोग भी बदला जा सकेगा। इसकी जानकारी स्वत: ही खसरे में दर्ज हो जाएगी।
कोर्स नेटवर्क से होगा सरलता से सीमांकन कार्य
इसके साथ ही CORS नेटवर्क द्वारा सीमांकन अब आसान हो जाएगा। पूर्व में खड़ी फसल में सीमांकन का कार्य नहीं हो पाता था। कोर्स तकनीक से इस समस्या के निराकरण में अधिक समय लगता है। अब मोबाइल जैसी डिवाइस की सहायता से सीमांकन आधे घंटे में पूर्ण कर लिया जाएगा। कोर्स नेटवर्क के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के साथ अनुबंध किया गया है। शीघ्र ही यह कार्य पूरा हो जाएगा। इसके अंतर्गत प्रदेश में 90 कोर्स स्टेशन स्थापित होंगे।
किसानों को स्वामित्व योजना का लाभ भी
प्रदेश में रहने वालों लोगों को संपत्ति का मालिकाना हक देने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से आबादी का ड्रोन सर्वे करवाया जा रहा है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसान भी हैं। अत: स्वामित्व योजना का सर्वाधिक लाभ कृषक वर्ग को प्राप्त होगा। आने वाले दो वर्ष में यह कार्य पूरा हो जाएगा। आबादी क्षेत्रों के नक्शे उपलब्ध न होने से इस कार्य में समस्या आती थी। स्वामित्व योजना में भूमि स्वामियों को संपत्ति का मालिकाना हक देने का कार्य तेजी से चल रहा है।
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