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गांवों में बनेगी क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी जिलों की तर्ज पर

गांवों में बनेगी क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी जिलों की तर्ज पर 

90 हजार ग्रामीणों को हुआ कोरोना


भोपाल - गांवों में बढ़ते कोरोना के मरीजों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसलिए अब सरकार ने तय किया है कि जिला स्तर पर काम करने वाली क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी की तर्ज पर गांव और जनपद स्तर पर भी क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी गांव में कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए फैसले लेकर उसे क्रियान्वित कराने का काम करेगी। सरकार ने गांव में क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी के गठन का फैसला इसलिए लिया है ताकि सख्ती के साथ कोरोना कर्फ्यू का पालन कराया जा सके और कंटेन्मेंट एरिया बनाए जाने की नौबत रोकी जा सके। अगर कोई कोरेंटाइन नहीं होता तो उसे कोविड केयर सेंटर ले जाया जाएगा। सरकार ने गांव में क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी बनाने का निर्णय इसलिए भी लिया है क्योंकि यहां के लोगों को प्रशासन की टीम पूरी तरह कंटेन्मेंट में नहीं रख सकती। ग्रामीणों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। 


सरकार ने यह भी तय किया है कि जिलों की तरह जनपद पंचायतों में भी क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप गठित किए जाएंगे जिसमें विधायक, एसडीएम, सीईओ जनपद, समाजसेवी शामिल किए जाएंगे। विधायक इन कमेटियों को लीड करेंगे। इसका फोकस इस पर होगा कि गांव में बाहर से आने वाले लोगों को बिना जांच एवं कोरेंटाइन किए गांव के भीतर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस तरह मेरा गांव कोरोना मुक्तगांव और मेरा क्षेत्र कोरोना मुक्त क्षेत्र बनाया जाएगा। सरकार ने यह भी तय कर दिया है कि अगर किसी गांव में  एक भी कोरोना मरीज है तो वहां मनरेगा के कार्य बंद रहेंगे। जहां पाजिटिव केस नहीं हैं, वहां सावधानी के साथ मनरेगा में मजदूरी का काम कराया जा सकता है। 

गांवों में हैं 90 हजार संभावित संक्रमित

प्रदेश के ग्रामीण अंचल में इस समय 90 हजार लोग कोरोना के संभावित संक्रमित हैं। इनमें से साढ़े तीन हजार से अधिक की जांच रिपोर्ट सैंपलिंग के बाद भी पेंडिंग है जबकि 62 हजार लोगों के सेंपल लिए जाने बाकी हैं। पंचायतों में काम कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम 27 हजार लोगों के सेंपल एकत्र कर चुकी है। इसमें 3800 प्रवासी नागरिक हैं। 

अप्रेल में बने थे पंचायतों में निगरानी दल

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के निर्देश पर इसके पहले अप्रेल में पंचायत स्तर पर निगरानी दल बनाए गए थे। इसमें पटवारी को नोडल अधिकारी, सचिव ग्राम पंचायत को सहायक नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसके अलावा दल के अन्य सदस्यों के रूप में ग्राम रोजगार सहायक, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल किए गए हैं। इनको यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि पंचायत में बाहर से आए हुए लोगों को दस दिन के लिए अनिवार्यत: कोरेंटाइन कराएं। मास्क लगाने और जनता कर्फ्यू का पालन कराने का काम कराएं।

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