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आनन्द की यात्रा का द्वितीय दिवस : समस्त जीवो के कल्याण की कामना को लेकर श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में दूसरे दिन हुआ भक्तिमय पूजन

आनन्द की यात्रा का  द्वितीय दिवस : समस्त जीवो के कल्याण की कामना को लेकर श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में दूसरे दिन हुआ भक्तिमय पूजन

संध्या में हुई धार्मिक अंताक्षरी, बांटी प्रभावना

लोकमतचक्र.कॉम।

हरदा : श्री दिगम्बर जैन धर्मशाला में किये जा रहे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के दूसरे दिन विश्व के समस्त जीवों के कल्याण की भावना को लेकर प्रातःकाल श्रीजी की शांतिधारा ओर मंडल विधान की संगीतमयी पूजन की गई। संध्या में भव्य संगीतमय आरती के बाद धार्मिक अंताक्षरी ओर बाल ब्रह्मचारी तरूण भैय्या के प्रवचन हुए । बड़जात्या परिवार द्वारा प्रभावना वितरण किया गया।


इस दौरान बाल ब्रह्मचारी तरूण भैय्या ने धर्म के महत्व को बताते हुए कहा कि जैन धर्म में सभी विधानों में यह श्रेष्ठ है। यह विधान अधिकतर जैन धर्म के महापर्व अष्टानिका में ही किया जाता है। कारण दोनों ही 8 दिन के समय में होते है। अष्टानिका महापर्व वर्ष में तीन बार आते है, कार्तिक माह, फाल्गुन माह और आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में। उन्होंने कहा कि श्री  सिद्धचक्र महामंडल विधान मात्र सिद्ध भगवान के गुणगान कर पुण्य कमाने और स्वर्ग जाने का साधन मात्रा नहीं है। उनके जैसा बनने का अवसर प्रदान करता है। 

श्री सिद्धचक्र मंडल विधान के प्रथम दिन जहां शांतिधारा करने का सौभाग्य आकाश पूनमचंद  लहरी, चेतन लहरी, लक्ष्य जैन इंदौर, अभिनंदन अनूप बड़जात्या, सुधीर कुमार प्रज्ञेश जैन बानापुरा को प्राप्त हुआ वहीं दूसरे दिन रचित मुकेश बकेवरिया एवं दीपक, नितीन सेठी खंडवा को प्राप्त हुआ। इसी प्रकार आरती का सौभाग्य प्रथम दिन श्रीमती उषा बड़जात्या, श्रीमती सुनीता बालेंद्र जैन श्रीमती पूजा एवं ज्योति लहरी को मिला तो दूसरे दिन श्री खुशबू सचिन बकेवरिया को प्राप्त हुआ।         

जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव रपरिया ने बताया कि जैन समाज के आष्टाहनिक व्रत महापर्व अन्तर्गत जैन समाज के बड़जात्या परिवार द्वारा जैन समाज के सहयोग से चल रहै दस दिन के विधान-पूजन मे सम्पूर्ण समाजजनों की भागीदारी से जहां अति उल्लास का माहौल बना हुआ है, वही बच्चो से लेकर बडो तक की भक्ती-प्रभावना देखने योग्य है। आगामी दिनो मे ओर भी आकर्षक व प्रभावी माहोल मे आयोजन अपनी छटा बिखेरेगा। यज्ञनायक अशोक बड़जात्या एवं सौधर्म इंद्र प्रतीक बड़जात्या ने समाजजनों से अपील करते हुए कहा कि आयोजित समस्त कार्यक्रमों मे अपनी अमूल्य सहभागिता प्रदान कर पुण्य लाभ लें।

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