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बिजली बिल में ऐसे होती है अवैध वसूली, फाल्स डिमांड के लिए नहीं करते कंज्यूमर की पासबुक अपडेट

बिजली बिल में ऐसे होती है अवैध वसूली, फाल्स डिमांड के लिए नहीं करते कंज्यूमर की पासबुक अपडेट

भोपाल : बैंक की पासबुक की तर्ज पर हर बिजली उपभोक्ता की भी पासबुक होती है जिसे प्रापर अपडेट रखने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के जूनियर और असिस्टेंट इंजीनियर की होती है। इसमें हर बिल भुगतान का अपडेट उसी तरह करना होता है जैसे बैंक में जमा धन या निकासी धन का अपडेशन होता है। बिजली कम्पनी के अधिकारी अपना काम गंभीरता से नहीं करते और इसका नतीजा यह होता है कि अगर उपभोक्ता के किसी महीने के बिल भुगतान का रिकार्ड पासबुक में फीड नहीं हुआ तो बिजली कम्पनी उस पर सरचार्ज लगाकर करोड़ों रुपए वसूलती है। बिजली दफ्तरों में अवैध वसूली के इस गोरखधंधे का खुलासा ग्वालियर चंबल संभाग में बीएसएनएल को जारी किए गए बिलों से हुआ है जिसके बाद अब कम्पनी ने बीएसएनएल के बिल को समायोजित करने की कार्यवाही की है। 

प्रदेश में उपभोक्ताओं से अवैध वसूली का यह खेल न सिर्फ गैर घरेलू उपभोक्ताओं के साथ हो रहा है बल्कि घरेलू उपभोक्ता भी इसके शिकार होते हैं। बिजली कम्पनी के अफसर इसे अपनी गलती मानने के बजाय उपभोक्ता पर निकाले गए बिजली बिल की वसूली के लिए उसके घर की चल संपत्ति की कुर्की तक कर लेते हैं और कम्पनी के अफसरों की इस बदमाशी की जानकारी न होने के कारण उपभोक्ता मंत्रियों, नेताओं और कलेक्टरों के यहां शिकायत कर चक्कर लगाने को मजबूर होते हैं। इसके बाद यही अफसर मामूली सुधार के साथ दोबारा बिल जारी कर देते हैं और वह जमा करना उपभोक्ता की मजबूरी होती है। ऐसे हालातों में दोबारा जारी होने वाले बिल भी संशय के घेरे में हैं। 

ऐसे हुआ खुलासा

बिजली कम्पनी ने ग्वालियर और चंबल रीजन में शिवपुरी और मुरैना व भिंड के बीएसएनएल के कार्यालयों और उपभोक्ता सेवा केंद्रों के बिजली बिल वर्ष 2019 से 2021 के बीच जारी किए। यह बिल करोड़ों रुपए के थे। जब इसकी जानकारी बीएसएनएल के अफसरों को हुई तो वहां के अफसरों ने राजधानी के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। बीएसएनएल भोपाल के अफसरों ने इसकी आडिट और जांच पड़ताल के बाद पाया कि जो बिल जारी किए गए हैं, उनमें कई महीनों का भुगतान हो चुका है, इसके बाद भी बकाया बताया गया है। इसके बाद जब स्थानीय स्तर पर इसकी शिकायत की गई तो बिजली कम्पनी के अफसरों ने फाल्स बिलिंग डिमांड के नाम पर अपना बचाव किया और सरचार्ज के नाम पर एंट्री किए गए चार करोड़ रुपए से अधिक के बिल पर बीएसएनएल के करीब दो करोड़ के बिल कम हो गए। यह हादसा अकेले बीएसएनएल के साथ नहीं बल्कि अन्य घरेलू और गैर घरेलू उपभोक्ताओं के साथ भी होता है लेकिन उपभोक्ता द्वारा बिलिंग को प्रॉपर वाच नहीं करने और अनदेखी करने का फायदा बिजली कम्पनी उठा रही है। 

क्या है फाल्स डिमांड

अगर किसी उपभोक्ता की ओर से एक या अधिक माह का बिल जमा नहीं किया जा सका तो इसका फायदा उठाते हुए बिजली कम्पनी द्वारा फाल्स डिमांड बिलिंग के नाम पर सरचार्ज के साथ बिल भेज दिया जाता है। अगर उपभोक्ता ने बिना किसी शिकायत और पड़ताल के राशि जमा कर दी तो इसका सीधा फायदा कम्पनी को हो जाता है। फाल्स डिमांड बिलिंग के उल्लेख के दस्तावेज भी संवाददाता के पास हैं। कम्पनी के अफसर भी इस गड़बड़ को स्वीकार करते हैं पर कोई खुलकर कुछ नहीं कहना चाहता। इस मामले में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के सीएमडी गणेश शंकर मिश्रा से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर बात नहीं हो सकी। 

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