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महज़ अधिमान्य पत्रकारों को “फ्रंट लाइन वर्कर” का मिला दर्जा क्यों…?

महज़ अधिमान्य पत्रकारों को “फ्रंट लाइन वर्कर” का मिला दर्जा क्यों…? 

सभी प्रकार के पत्रकारों को इस योजना में शामिल करें शिवराज सरकार – पत्रकार एकता महासंघ फाउंडेशन 


भोपाल - भारत मौजूदा समय में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा हैं l देश मे कोविड – 2 अर्थात कोरोना की दूसरी लहर ने लगातार विस्फोटक कर त्रासदी जैसे हालात बना दिए हैं जिससे चारो ओर हाहाकार मचा हुआ हैं l ऐसे में कोरोना वारियर्स जो अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन बड़े ही जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं l

कोरोना संक्रमण काल में 24 घंटे सक्रिय रहकर जमीनी स्तर की रिपोर्टिंग अपनी जान जोखिम में डालकर करते हैं जिसके लिए उन्हें शासन से कोई मानदेय प्राप्त नहीं हैं ऐसे जनसेवा और जनसंचार का कार्य करने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मतलब पत्रकारगण जो सरकार, जनता और कोरोना वारियर्स का हर घटनाक्रम वास्तविकता के साथ जनमानस तक पहुँचाने का काम करते हैं उन पत्रकारों के साथ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार दूजा व्यवहार और पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए साफ नजर आ रही हैं l शिवराज सरकार ने पत्रकारों के किसी एक वर्ग को लाभ पहुँचाने के लिए एक गैरजिम्मेदाराना फ़ैसला लिया हैं l

प्रदेश के पत्रकार जगत के हित और भविष्य की सुरक्षा हेतु सदैव तत्पर व कार्यरत “पत्रकार एकता महासंघ फाउंडेश” द्वारा शिवराज सरकार के इस फ़ैसले की कड़ी निंदा और भर्त्सना करते हुए विरोध जताया जा रहा हैं l

क्या हैं शिवराज सरकार का वो फ़ैसला जिसने किया पत्रकारों को आहत…

सोमवार, मई 3, 2021 को

जनसंपर्क कार्यालय भोपाल द्वारा जारी प्रेस सूचना जारी की गई हैं जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अधिमान्य पत्रकारों को “फ्रंट लाइन वर्कर” की श्रेणी में रखने या दर्जा दिए जाने के संबंध में लिए गए फ़ैसले का विवरण दिया गया हैं l

समाचार में वर्णित हैं कि, प्रदेश के अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल किये गये हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण में वास्तविकता को जन-जन तक पहुँचाने वाले पत्रकार भी वास्तव में कोरोना वॉरियर्स हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अधिमान्य पत्रकारों को भी फ्रंट लाइन वर्कर्स को दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ दिया जायेगा।

मुख्यमंत्री के उक्त फैसले से पत्रकार एकता महासंघ फाउंडेशन बेहद नाराज हैं l क्योंकि इस फैसले से ज़मीनी पत्रकारों का हक और अधिकारों का गला घोंटा जा रहा हैं l पत्रकारों की सबसे बड़ी आबादी के त्याग, समर्पण और निःस्वार्थ सेवा को मुख्यमंत्री ने दरकिनार किया हैं और पत्रकारों को निराश भी l बड़ी संख्या में पत्रकारगण और संगठन मुख्यमंत्री के फैसले के विरुद्ध कड़ा विरोध और रुख अपनाने की योजनाएँ बनाने में जुट गए हैं l

मुख्यमंत्री का फ़ैसला निंदनीय, सभी प्रकार के पत्रकारों को इसमें शामिल करें शिवराज सरकार – सूरज मरावी, प्रदेश अध्यक्ष, पत्रकार एकता महासंघ फाउंडेशन

उक्ताशय में प्रदेश अध्यक्ष श्री सूरज मरावी ने कहा कि, “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आज पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में दर्जा व सुविधाएँ दिलाने हेतु लिया गया निर्णय स्वागत योग्य हैं l इस तरह के निर्णय हेतु हमारे द्वारा बीते कई महीनों से प्रयास जारी रखे गए थे l परंतु फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में केवल अधिमान्य पत्रकारों को रखना यह मुख्यमंत्री द्वारा गलत व पक्षपातपूर्ण फैसला हैं l क्योंकि अधिमान्य पत्रकारों की संख्या लगभग 5 % ही हैं ऐसे में लगभग 95 % पत्रकार जो जमीनी रिपोर्टिंग करते हैं उनके साथ नाइंसाफी हैं l

मैं अपने पत्रकार भाइयों और संगठन की ओर से मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय की कड़ी निंदा करता हूँ l उक्त निर्णय चहेतों को लाभ दिलाने और पत्रकारों को बाँटने की बड़ी साज़िस हैं l

इसलिए मैं पत्रकारों के हित में अपने संगठन के माध्यम से मुख्यमंत्री जी से माँग करता हूँ कि, सभी पत्रकारों को समान दृष्टिकोण से देखा जाए l सभी पत्रकारों के साथ समान न्याय किया जाए इसके लिए आज लिए गए निर्णय में तत्काल संशोधन कर “फ्रंट लाइन वर्कर” की श्रेणी में सभी पत्रकारों को रखा जाए और सभी को उन सुविधाओं का लाभ दिलाया जाए l क्योंकि हम पत्रकार कोरोना वारियर्स की तरह शासकीय सेवक नही हैं जिन्हें काम के बदले वेतन मिलता हो l

माँग पूरी नही होने पर हक़ की लड़ाई आक्रामक हो सकती हैं जिसकी जिम्मेदारी हमारी नही होगी l”

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